वृक्ष धरा के आभूषण (Tree Jewelry)

प्रत्येक वस्तु जो हमारे आसपास हैं, प्रकृति ही तो हैं, हम ही प्रकृति है हमारे आस-पास का वातावरण एवंम हमारे भीतर के क्रियाकलाप सभी प्रकृति पर ही निर्भर है। हमारा भी ये दायित्व बनता है कि हम भी प्रकृति के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे।

पेड़ पौधो का सरंक्षण

आज के युग में सभी जगह मनुष्य भागदौड़ की जिन्दगी में प्रकृति को भूल चुका है। जबकि प्रत्येक मनुष्य जानता है। पेड़-पौधे का सरंक्षण कितना आवश्यक है न जाने एक दिन में कितने वृक्षो को काटा जाता हैं यद्यपि मनुष्य की सभी आवश्यकताओं को पेड-पौधे ही पूरा करते है। फिर भी हम इनका सरंक्षण नही कर पाते।

कागज के रूप में पेड़

किताबो, काफी एवं सभी जगह प्रयोग होने वाले कागच हमें पेडो से ही प्राप्त होता है। न जाने मनुष्यो की आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए कितने पेड़ो को एक दिन में काटा जाता है। यदि प्रत्येक व्यक्ति कम से कम कागचो का उपयोग करे तो हम प्रकृति को नुकसान होने से बचा सकते है।

इमारतो के रूप में पेड

जब कोई भी इमारत तैयार की जाती है। तो हमें लकड़ी की आवश्यकता होती है। ये सभी पेड़ो से ही तो प्राप्त होता है। खिड़क, दरवाजे, चैखट आदि अनेक चीजो के लिए वृक्षो का महत्वपूर्ण योगदान है।

शुद्ध हवा (आक्सीजन) के रूप में पेडो को योगदान

हमे सांस लेने के लिए ताजी हवा की आवश्यकता होती हैं जो हमे पेड़ पौधो से ही मिलती है, पेड़-पौधे हमारे द्वारा छोड़े गये कार्वन डाई-आक्साइड को लेकर हमें शुद्ध हवा (आक्सीजन) देते है।

वृक्ष प्रकृति के अनमोल आभूषण 

वास्तव में वृक्ष प्रकृति के आभूषण है, इनके बिना धरती विरान-बंजर हो जाती है। जो कि किसी को भी पसंद नही होती है। एक हरी-भरी धरती जिसके चारों ओर अनेको प्रकार के पेड़-पौधे हो भला किसे पसंद नही होता। इसलिए हमें सदैव यह प्रयास करना चाहिए कि हम धरती के आभूषणो को बचा कर रखे ताकि हमारा कल सुरक्षित रह पाय।


वृक्षो को कटान से बचाना चाहिए ताकि मनुष्य सुरक्षित रह पाये

वृक्षो को यदि बचाया न गया तो वह दिन दूर नही जब पानी की बोतल की तरह मनुष्य आक्सीजन के सलेन्डर भी अपने साथ लेते घुमते फिरेगा। आज हम एक ऐसी दुनिया में जी रहे है जहां हम अपने चारो ओर इमारते का ही वातावरण पाते है, बडे-बडे शहरों मे प्रकृति शब्द मानो किताबो और मोबाइल और टेलिविजन में अच्छे लगते है। क्या यही वास्तविक जीवन है। नही हमें तो ये भी पता नही कि हमे हवा सांस लेने के लिए कहां से आ रही है। क्या वृक्ष हमें सांस लेने के लिए हवा देते हैं।      

क्या हम पर्याप्त रूप से प्रकृति का आनंद ले रहे है- यह सोचना इतना आसान नही है। कि हम प्रकृति का सरंक्षण न करे तो प्रकृति हमेशा हमारा साथ देगी। कई प्रकार की पक्षियों की प्रजातियो को ही लिजिए जो इस भीषण गर्मी में पानी को ढूढंते-ढूढंत न जाने कहा से कहा पहुंच जाती है। मोबाइल टावरो के रेडियेशन से कई प्रजातिया लुप्त होने की कागार पर होगी।

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