मेहल हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाना एक मध्यम आकार का वृक्ष है। इसे मुख्यरूप से जंगली नाशपति के रूप में जाना जाता है, जब इसका पौधा छोटा होता है, तब मेहल के वृक्ष (pyrus pashia tree) पर सेब की कलम लगायी जाती है, और जब इसका पेड़ बड़ा होता है, तो उस पर आने वाले फल नाशपति की तरह ही होते है। यह एक औषधीय पेड है। इसमें कई उपयोगी पाॅलीफेनोलिक चिकित्सीय घटक पाये जाते है, जैसे आर्बुटिन, क्लोरोजेनिक एसिड फ्लेवन -3- ऑलस आदि
पाइरस पशिया का वृक्ष (pyrus pashia tree)
मेहल हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाना एक पर्णपाती मध्यम आकार का फल देने वाला वृक्ष है। वृक्षों के तनो तथा शाखाओं में काँटेदार आकृति पायी जाती है। स्थानीय क्षेत्रों में इसका उपयोग न के बराबर होता है। यह खेतों की मीढ पर तथा बंजर भूमि में आसानी से उगने वाला पेड़ है। इसे किसी भी प्रकार के देखभाल की आवश्यकता नही होती, यद्यपि यह एक औषधीय पौधा है। इसकी पत्तिया लंबी, ढाँलदार तथा चमकीली होती है। पत्तियां 5-10 सेमी0 तक लंबी होती है। इसमें सफेद रंग के फूल खिलते है ।
फल का आकार तथा रंग (Fruit size and color)
इसके फल भूरे रंग के आकार में गालाकार होते है, जिन पर बारिक धब्बे उभरे होते है। पकने से पहले यह हरे या भूरे रंग का होता है, लेकिन पकने के बाद इसके फलों का रंग धब्बादार आकृति के साथ काला हो जाता है। इस फल को खाना काफी लोग पसंद भी करते है। जो स्वाद में मीठा होता है। फल पकने पर उसके अन्दर गुदा के साथ बारिक छोटे-छोटे दाने पाये जाते है।
उपयोग
स्थानीय लोगो द्वारा इसका उपयोग ईधन के रूप में किया जाता है।
इसके पत्ती के अर्क का उपयोग टाॅनिक के रूप में किया जाता है, जिससे बाल झड़ने की समस्या कम हो जाती है।
इसके फलो का उपयोग बुखार सिरदर्द आदि में भी किया जाता है।
इसकी लकड़ी का उपयोग चलने वाली लाठी के रूप में भी किया जाता है।
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👉 हिंदी टाईपिंग HOME ROW का अभ्यास
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