मां कालरात्रि स्तुति
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
इनकी दाहनी भुजा के दाहिने हाथ वर मुद्रा में है। नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है। बांयी तरफ उपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और नीचे वाले हाथ में खडग् है। इनकी तीन आँखे है। तथा गले में विद्युत के समान चमकने वाली माला है। यद्यपि माता का यह रूप डरावना लगता है। लेकिन माता भक्तों को फल देने वाली है। इनके नाम के स्मरण मात्र से भूत-पिचास, राक्षस सभी भयभीत होकर भाग जाते है।
माँ कालरात्रि बीज मंत्र
ऊँ देवी कालरात्रें नमः ।
माँ कालरात्रि देवी ध्यान
करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला विभूषिताम॥
दिव्यं लौहवज्र खड्ग वामोघोर्ध्व कराम्बुजाम्।
अभयं वरदां चैव दक्षिणोध्वाघ: पार्णिकाम् मम॥
महामेघ प्रभां श्यामां तक्षा चैव गर्दभारूढ़ा।
घोरदंश कारालास्यां पीनोन्नत पयोधराम्॥
सुख पप्रसन्न वदना स्मेरान्न सरोरूहाम्।
एवं सचियन्तयेत् कालरात्रिं सर्वकाम् समृद्धिदाम्॥
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