उत्तराखंड रूपकुंड झील

एक ऐसा पर्यटक स्थल है। जो न केवल वहाँ के स्थानीय लोगों का मन मोह लेता है। अपितु देश-विदेश के पर्यटक भी यहां यात्रा पर आते है। एक रमणीय स्थल होने के साथ-साथ प्रकृति का एक अदभूत नजारा यहा देखने को मिलता हैै। ये स्थान चमोली जिले में स्थित है। अन्तिम गाँव बाण  से प्रस्थान करने के पश्चात 8 किमी0 की दूरी तय करने बाद बेदनी बुग्याल नामक स्थान पर यात्री पहुंचता है। जो कि यात्रा की सभी थकावटे दूर कर देता है। मखमली घास के मैदान यहां देखने को मिलते है। जहां तक भी आपकी दृष्टि जाती है। हरा भरा घास का मैदान दिखाई देता है। यद्यपि यहा समय- समय पर कोहरा लगता है।धुंध के कारण ज्यादा दूर तक नही देखा जाता है। जैसे ही धुंध समाप्त हो जाती है। इस स्थान का आप लुप्त उठा सकते है। यहाँ से सुबह के समय प्रस्थान कराना चाहिए, ताकि आप रूपकुण्ड तक सही समय पर पहुँच जाये। प्राचीनक कहावत के अनुसार यहां वेदों की रचनाऐ हुई थी।  यह दो हिमालय चोटियों त्रिशूली और नंदाघुगटी जिसकी ऊँचाई लगभग- 5,029 मी0 है। यहां से हेमकुण्ड के भी दर्शन किये जाते है।

रूपकुंड झील का रहस्य

ये झील एक रहस्यमयी झील समझी जाती है। यहां कई नर-कंकाल देखने को मिलते है। जो लगभग 12वी सदी के बीच के माने जाते है। ये लगभग 10 फीट लंबे है।



पौराणिक कथाओ के अनुसार- जब भगवान शिव और पार्वती यहां से कैलाश के लिए जा रहे थें तो देवी भगवती को यहां प्यास लगी तब भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से यहां इस कुण्ड का निर्माण किया जिसमें देवी भगवती ने अपनी प्यास बुझायी और अपने रूप को निहारा इसी कारण इस कुण्ड का नाम रूपकुण्ड पड़ा। नंदा देवी राजजात इसी मार्ग से होते हुए जाती है।




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