महाकवि कालिदास एक प्रसिद्ध कवि थे, उनकी तुलना आज के युग में करना सोचनीय है। कालिदास का जन्म उत्तराखण्ड में गांव कविल्ठा जिला रूद्रप्रयाग में हुआ जो केदारनाथ मार्ग गुप्तकाशी में है। इन्होनें कोई प्रारभिक शिक्षा प्राप्त नही की उन्होनें इसी स्थान पर मेघदूत, कुमार संभव और रघुवंश नामक ग्रंन्थो की रचना की गुप्तकाशी में सरकार ने कालिदास की प्रतिमा स्थापित की है। हर वर्ष जून माह में कवियो की यहा गोष्ठी होती है। इस गोष्ठी में समलित होने के लिए पूरे देश से विद्वान आते है।
कालिदास प्रारमिभक जीवन-
कालिदास का प्रारम्भिक जीवन अनपढ़, मूर्ख थे। लेकिन ज्ञान प्राप्त के पश्चात् इन्होेने कई श्रेष्ठ ग्रंन्थ लिखे जिसे आज के युग मे कल्पना ही कहा जा सकता है।कालिदास और राजकुमारी विद्योतमा-

इस प्राकर विद्वानो ने कहा कि उनके गुरू कह रहे कि एक बह्य को समझने के लिए दूसरे जगत की सहायता लेनी चाहिए है। राजकुमारी विद्योतमा का दूसरा प्रश्न खुला हाथ दिखाकर पाँच तत्व है। कालिदास ने समझा कि वह मुझे थप्पड मारने के लिए कह रही है। तो कालिदास ने जबाव में मुक्का दिखाया याने तू मुझे थप्पड मारेगी तो में घूसे से तेरा चेहरा तेरा चेहरा बिगाडूगा। इस प्रकार विद्वानो ने कहा कि उनके गुरू कह रहे है कि पाँच तत्व अलग-अलग है- पृथ्वी, वायु, आकाश, जल, अग्नि इनका कोई विशिष्ट कार्य नही है। सभी मिलकर उत्कृष्ट कृति का निर्माण करते है। इस प्रकार शर्त के अनुसार राजकुमारी विद्योतमा कालिदास से शादी कर लेती है। और कालिदास राजकुमारी विद्योतमा को अपनी कुटिया में ले जाता है रात्री के समय जब दोनो एक साथ होते है, तो एक ऊँट की आवाज आती है तो संस्कृत में विद्योतमा कहती है। (किमेतत) कालिदास को संस्कृत नही आती उसके मुंह उंट शब्द निकलता है, विद्योतमा समझ जाती है। कि कालिदास शिक्षित नही है और कालिदास को कुटिया से बाहर निकाल देती है, और कहती है कि जब तक तुम विद्वान न बनो तब तक घर लौट कर मत आना इस प्रकार कालिदास माता काली की आराधना करता है। और माँ काली से आशीर्वाद प्राप्त करने के पश्चात् एक विद्वान बनकर घर लौटता है।
कालिदास एक कवि के रूप मे- मेघदूत, कुमार संभव और रघुवंश आदि अनेक नामक ग्रंन्थो की रचना कालिदास ने की है ।
0 Comments
thank for reading this article