पाताल भुवनेश्वर उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल में गंगोलीहाट पिथौरागढ़ जिले में है मान्यता है, कि यहां की स्थापना सर्वप्रथम आदि गुरू शंकराचार्य ने की थी। ये स्थान अल्मोडा से लगभग 160 किमी0 की दूरी पर स्थित है, यहां की यात्रा करते समय यात्री प्रकृति की अनमोल दृश्यों का लुप्त उठा सकता है।
इस स्थान में न केवल आप प्रकृति का आन्नद लेगे बल्कि यहां के अदभूत दृश्यों को देखने के बाद आपका प्रकृति प्रेम चरम सीमा तक बढ़ जायेगा। कि कैसे एक गुफा में सभी 33 करोड़ देवी-देवताओं के दर्शन होते है। यह स्थान घने देवदार वृक्षो के बिच स्थित है। पाताल भुवनेश्वर में जो सुरंग है, जिसकी गहराई लगभग 90 फीट है।
पाताल भुवनेश्वर के बारे में
गुफा में प्रवेश द्वार– लगभग 82 सीढ़ी नीचे उतरने के बाद इस गुफा में प्रवेश किया जाता है, पौराणिक कथाओं के अनुसार जिस प्रकार शेषनांग ने पूरी पृथ्वी को थामा है, उसी प्रकार यहा पूरे पाताल गुफा को शेषनांग ने अपने उपर धारण कर रखा है, इनके मुख से ही गुफा में प्रवेश किया जाता है।
आदि गणेश– इसमें गणेश जी का मस्तक विद्यमान है जिसे आदि गणेश कहा जाता है। जिस पर जल की बूदे गिरती रहती है।
चार धाम के दर्शन– यहां बद्री पंचायत, अमर नाथ, केदार नाथ जी के दर्शन किये जाते है, यहां की यात्रा का पुण्य चार धाम की यात्रा के पुण्य के बराबर माना जाता है, बद्री पंचायत- यहां पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, कुबेर, एवंम गरूड जी विद्यमान है, अमर नाथ - यहां अमर नाथ के समान गुफा विराजमान है, जिसमें शिव जट़ाये विद्यमान है, एवंम यहां केदार नाथ जी का भी दर्शन किया जाता है।
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