गिलोय एक दिव्य औषधी

गिलोय

गिलोय जिसे अमृता के नाम से भी जाना जाता है, आयुर्वेद में इसे एक दिव्य औषधी माना गया है, गिलोय के पत्ते पान के पत्तो की तरह होता है। यह यह पेड़ो पर एक बेल के रूप में पाया जाता है, जिस भी पौधे पर ये बेल चढ़ती है, उस पौधे के गुणो को अपने में ले लेती है। 

मुख्यतः इसकी बेल को औषधी के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसे अमृता, चक्रांगी गुडुची आदि विभिन्न नामो से जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कोर्डिफो़लिया है।


ज्वरनाशक के रूप में गिलोय का उपयोग-
गिलोय की बेल का उपयोग बुखार में किया जाता है, इसे पाउडर या काढा बनाकर लिया जाता है, जो ज्वर किसी अन्य दवाओ से सही न होता है, गिलोय से सही हो जाता है। यह हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। यद्यपि इसका स्वाद कड़वा तीखा होता जो इसमें उपस्थित पोषक तत्वो के कारण होता है।



गिलोय के अन्य उपयोग-
गिलोय का उपयोग पाचन को सुधारने, गठिया का उपचार करने, मधुमेह की रोकथाम करने, खांसी, बुखार, डेंगु बुखार तथा सांस से सबंधी, मूत्र रोग, खून की कमी, त्वचा रोग, आंखो से संबंधित रोग आदि अनेको प्रकार के रोगो में इसका प्रयोग किया जाता है।

गिलोय के नुकसान- 
  • इसका अत्यधिक प्रयोग करना नुकसान दायक हो सकता है।
  • गर्भवती महिलाओ को डाॅक्टर के परामर्श के अनुसार ही यह औषधी लेनी चाहिए।
  • औषधी का प्रयोग करने से पहले डाॅक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

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