ओक का वृक्ष (बांज का वृक्ष)

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ओक या बांज का वृक्ष सदैव हरा-भरा रहेने वाला वृक्ष है। ये पेड़ पर्णपाती है। ओक या बांज के वृक्ष की कुछ प्रजातियां 200 साल तथा कुछ प्रजातियां 300 या उससे अधिक सालो तक जिन्दा रहते है। ओक या बांज के वृक्ष की ऊँचाई लगभग 15 मी0 से 21 मी0 तक होती है। इसकी जड़े काफी मजबूत तथा फैलावदार होती है। जो वर्षा में पानी को अधिक मात्रा में अवशोषित करती है। बांज का पेड़ कई देशों का राष्ट्रीय वृक्ष भी जैसे- पौलेंड, इंग्लैड, फ्रांस, वेल्स, जर्मनी, लातविया, आदि। इसकी लगभग 400 किस्में ज्ञात है। यह फ़गेसिए कुल का पौधा है। इसके पत्तें किनारो से कटे होते है। ओक का वृक्ष उत्तरी गोलार्ध में पाया जाता हैै।

ओक या बांज का फल- 

बांज का फल प्यालेनुमा आकृति का होता है। इनके कुछ फल मीठे तथा कुछ फल कड़वे होते है। इसके बिज का रंग भूरा होता है। जिसके बीज के बाहर से कवच पाया जाता है। जो बीज को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है। बांज का वृक्ष लगभग 20 साल की उम्र में फल देना प्रारम्भ करता है। बांज का पेड़ का रंग- कुछ बांज की प्रजातियों का रंग हरा, सफेद, लाल आदि होता हैै।


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पशुओं के चारे के रूप में ओक या बांज उपयोगी -

  1. उत्तराखण्ड तथा कई अन्य राज्यों में ओक के वृक्ष की पत्तियों को पशुओं के चारे के रूप में उपयोग में लाया जाता है।
  2. सूखी हुई टहनियों का उपयोग खाना-आदि बनाने में किया जाता है।
  3. सूखी हुई पत्तियों को एकत्र कर पालतु पशुओं के बिछोने में तत्पश्चात् खाद बनाने में
  4. इसकी पत्तिया खाद बनाने में उपयोगी है। जिससे उन्नत किस्म की फसले तैयार होती है। जिसमें किसी भी प्रकार के रासायन का प्रयोग नहीं किया जाता है।
  5. पर्यावरण की दृष्टि से उपयोगी।
  6. लम्बी व विस्तृत जडे़ होने के कारण भूमि-कटाव में उपयोगी।


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