अजा एकादशी व्रत जो भगवान विष्णु को अतिप्रिय है।

अजा एकादशी व्रत को आनंद एकादशी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष के दिन मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का पूजन करते है। भारत वर्ष में इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा एवं सम्मान मनाया जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है। तथा अन्त में श्रद्धालु वैकुंड में स्थान पाता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। एकादशी व्रत 15 अगस्त 2020 को है।

 

अजा एकादशी व्रत विधि

मनोविकारो को दूर करने के लिए व्रत को रखने वाला व्रती को एक दिन पूर्व से ही साधारण भोजन ग्रहण करना चाहिए तथा पूजन में लगने वाली आवश्यक सामग्री की जैसे कलश, फल-फूल, भगवान विष्णु की प्रतिमा, चावल, लाल कपडा आदि आवश्यक सामग्री की पहले से ही व्यवस्था कर लेनी चाहिए ताकि पूजा-आराधना के समय किसी भी प्रकार की समस्या न हो। व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्यक्रम से निवृत होकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। थोडा सा चावल लेकर साफ-सुथरी जगह में रखकर पवित्र कलश को इस जगह पर रखकर कलश को लाल कपडे़ से ढक्कर उसके उपर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करके भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने एक घी का दीपक जलाना चाहिए, तत्पश्चात् भगवान विष्णु को फल-फूल, नवैध आदि चढ़ाना चाहिए। भगवान को सभी चिजे अर्पित करने के पश्चात् विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करनी चाहिए तथा अजा एकादशी की कथा का श्रवण या पठन करना चाहिए।

अजा एकादशी व्रत की कथा

एक बार एक ऋषि ने राजा हरीशचन्द्र की परीक्षा लेनी चाही उन्होनें ब्राहृाण का वेश रखा और राजा हरीशचन्द्र की नगरी में पहुँचे जब वे राजा हरीशचन्द्र से मिले तो राजा ने ब्राहृाण का आदर सत्कार किया। उन्हें ऊँचे सिहासन पर बिठाकर उनके पग धोये तथा उन्होनें ब्राहृाण से कहा कि मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ। कृपया आज्ञा करे। ब्राहृाण बोले हे राजन् मैं एक ब्राहृाण हूँ मेरी इच्छा है कि मैं चार महिने तक राज करू आप सत्वादी है, आपका यश तो त्रिलोक मेें है, क्या आप मेरी इस इच्छा को पूरा करोगे। राजा हरीशचन्द्र ने कहा जैसी आपकी की इच्छा मैं अपना राज तुम्हें चार महिने के लिए दान में देता हूँ। इस प्रकार राजा हरीशचन्द्र व उनकी रानी व पुत्र राज्य की सीमा से बाहर चले गये। उसके पश्चात् उन्होनें एक चाण्डाल के यहाँ श्मशान घाट में कार्य किया। राजा हरीशचन्द्र अपने इस प्रकार के जीवन से परेशान थे।

एक दिन एक ऋषि उनके पास आया उन्होनें ऋषि को अपनी व्यथा सुनाई, ऋषि ने उन्हें अजा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करने की सलाह दी, ताकि उनके सभी पाप नष्ट हो जाये। राजा हरीशचन्द्र ने ब्राहृाण अनुसार बताए गये अजा एकादशी का व्रत किया, भगवान की कृपा उनके सभी पाप नष्ट हो गये, और उन्हें अपना राज तथा परिवार एवं उनका पुत्र रोहतास जो एक सर्प ने डस दिया था जिसकी मृत्यु हो चुकी थी वह भी पुनः जीवित प्राप्त हुआ।

अजा एकादशी का शुभ मुहूर्त

15 अगस्त 2020 अजा एकादशी 2020 शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारम्भ:
14 अगस्त को 02 बजकर 01 मिनट से

एकादशी की समापन तिथि: 15 अगस्त दोपहर 02 बजकर 20 मिनट तक

अजा एकादशी पारणा मुहूर्त : सुबह 05:50:59 से 08:28:36 बजे तक ;16 अगस्त 2020:

अवधि : 2 घंटे 37 मिनट 




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