नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है जो माता का दूसरा स्वरूप है।

दधानां करण्द्याभ्यामक्षमाला कमण्डल ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।।

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द्वितीय माँ ब्रह्मचारिणी—  नवरात्र के दूसरे दिन माता बह्मचारिणी का की पूजा की जाती है। शास्त्रों में इन्हें संयम की देवी कहा गया है। बह्मचारिणी माँ शक्ति का दूसरा रूप है। इनके दाएं हाथ में जप करने की माला और बाएं हाथ में कमंडल है। माँ बह्मचारिणी की आराधना करने से तप, त्याग, वैराग्य और संयम की प्राप्ति होती है। माँ बह्मचारिणी का पूजन करने से स्वाधिष्ठान चक्र जाग्रत होता है।

धर्म शास्त्रों के अनुसार माता ने पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया तथा माता ने भगवान शिव को पति के रूप के रूप में पाने लिए निर्जल और निराहार कठोर तप किया जिस कारण इनका नाम ब्रहृाचारिणी पड़ा।

मां ब्रह्मचारिणी ध्यान मंत्र

 
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥




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