बसंत पंचमी कब है 2021: बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त

प्राचीन समय से ही बसंत पंचमी के दिन को माँ सरस्वी का जन्मदिन मनाया जाता है, माता सरस्वती को ज्ञान, कला और संगीत की देवी माना जाता है। इस दिन लोग बडे़ उत्साह से माँ सरस्वी की पूजा-अराधना करते है, बसंत ऋतु के आगमन से ही प्रकृती पूर्ण रूप से खिल उठती है। पेड़-पौधे, तथा सभी जीवों में एक नई उर्जा का संचार होता है। बसंत पंचमी का दिन अध्ययन करने एवं किसी प्रकार की कला का प्रारंभ करने के लिए अति शुभ माना जाता है। इस दिन पिले वस्त्र पहनकर माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन न केवल घरों में माँ सरस्वती की अराधना की जाती है, अपितु संगीतशालाओं एवं शिक्षण संस्थाओं में भी माता सरस्वती की अराधना की जाती है।

 

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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार- जब ब्रह्या जी ने श्रृष्टि का निर्माण किया तो उन्हें लगा कि श्रृष्टि अपूर्ण और ध्वनि रहित है, इसके निवारण के लिए वे भगवान विष्णु के पास पहुँचे भगवान विष्णु की इच्छानुसार माता दुर्गा ने अपने तेज से सरस्वती को प्रकट किया जिससे ब्रह्या जी द्वारा की गयी श्रृष्टि निर्माण का कार्य पूर्ण हुआ और श्रृष्टि में ध्वनि निर्माण का कार्य पूर्ण हुआ, इसलिए इसी दिन को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।


इस वर्ष बसंत पंचमी का पर्व 16 फरवरी 2021 को है।

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त

पंचमी तिथि प्रारंभ- सुबह 3 बजकर 36 मिनट से
मध्याहृ काल - दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक

सरस्वती पूजा शुभ मुहूर्त - 

सुबह 06 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक
कुल अवधि - 5 घंटे 37 मिनट

पंचमी तिथि का समापन - 

फरवरी 17, 2021 को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर

 

सरस्वती वंदना प्रार्थना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां  जगद्व्यापिनीं ।
वीणा.पुस्तक.धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥2॥

मां सरस्वती देवी मंत्र

(1) सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणीए विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा।

अर्थ— 

हे सबकी कामना पूर्ण करने वाली माता सरस्वती,आपको नमस्कार करता हूँ।
मैं अपनी विद्या ग्रहण करना आरम्भ कर रहा हूँ, मुझे इस कार्य में सिद्धि मिले।

(2) या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥


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