हम्पी मंदिर पुरानी विजयनगर राज्य की राजराधानी :अब युनेस्को की विश्व धरोहर स्थल

हम्पी भारतवर्ष के कर्नाटक राज्य में स्थित है, जो पुरानी विजयनगर राज्य की राजराधानी है, जो अब युनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। यहाँ पर पुराने स्मारक और धरोहर को देखा जा सकता है। इसके अलावा यहाँ राजमहल, कमल महल, स्नानागर, विठ्ठला मंदिर, उग्र नरसिंह की मूर्ति, पत्थर का रथ, विरूपक्षा का मंदिर, हाथी घर, हजारा राम मंदिर आदि प्रमुख आकर्षण का केन्द्र है। हम्पी के खंडहरो की खोज सन् 1800 में कर्नल कोलिन मच्केंजि द्वारा की गयी थी।

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विजयनगर जिसका अर्थ है, जीत का नगर इसकी स्थापना सन् 1336 में राजा हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी। विजयनगर के जो भी खंडहर है, जो कि लगभग 600 साल पुराने है। जिसमें हमारे अतीत की झलकियां मिलती है। जिसमें चित्रकला मूर्तिकला, वास्तुकला को उस समय के वास्तुकारों द्वारा बहुत ही सुन्दर ढंग से निखारा गया है। इन अदभूत कलाओं को देखने के बाद दर्शक कुछ समय के लिए तो मंत्र-मुग्ध हो जाते है। यहाँ के दृश्यों को देखने के पश्चात् ऐसा लगता है, कि यहाँ कभी कोई सभ्यता रही होगी।

हम्पी का विट्ठल मंदिर

हम्पी का विठ्ठल मंदिर जो कि अद्भूत कलाओं में से एक है। इस मंदिर की सुन्दरता को देखने के लिए न केवल देश के श्रद्धालु-दर्शक लालायित रहते है, अपितु विदेशो से भी इस स्थल को देखने के लिए दर्शक पहुँचते है। विठ्ठल मंदिर में एक रथ है, जिसे पत्थरों को तरास कर बनाया गया है, ये रथ भगवान विष्णु का रथ माना जाता है, आकार में यह रथ गरूर के समान है।

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यहाँ एक मण्डप है, जिसमें कुछ स्तम्भ है। जिन्हें संगीतमय खंबे कहा जाता है। मंदिर में उपस्थित खंबो को हाथो के जरिये थपथपाने पर अलग-अलग प्रकार के संगीत के ध्वनियों को सुना जा सकता है, जो कि अपने आप में अद्भुत है। इन खंबो में तबला, वीणा तथा 81 प्रकार की वाद्ययंत्रो की ध्वनियों को सुना जा सकता है।

वीरूपक्ष मंदिर

इस मंदिर में भगवान गणेश की भव्य एवं विशाल प्रतिमा है, यहाँ पुरानी सदियों से पुजा-अर्चना होती आ रही है, इस मंदिर के गोपुरम का निर्माण राजा कृष्णदेव राय ने 1510 ई0 में कराया था। इस मंदिर को पंपापति मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर विजयनगर का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है, आज भी यहाँ भगवान शिव की पुजा-आराधना की जाती है। इस मंदिर के ऊपर एक छिद्र है, जिससे यहाँ से पड़ने वाली परछाई उल्टी दिखाई देती है, मंदिर में ध्यान करने के लिए कमरे बने हुये है, इन कमरों में भी ऊपर की ओर एक छिद्र है, जहाँ से प्रकाश इन कमरों में पहुँचता है।

यहाँ नर्सिंग भगवान की मूर्ति है, जिसका निर्माण राजा कृष्ण देव राय द्वारा 1528 ई0 किया गया था। इस मूर्ति में नर्सिंग भगवान की जांघ में लक्ष्मी माता विराजमान है। जिसे कुछ विरोधियों द्वारा नष्ट कर दिया गया था।

हम्पी हज़ारा राम मंदिर

हजारा राम मंदिर की दीवारों पर रामायण की कई कहानियों को प्रदर्शित किया गया है। जो दर्शको एवं श्रद्धालुओ का मन-मोह लेती है, यहाँ से कुछ ही दूरी पर कमल महल है, जिसकी छत कमल के पंखुडियों के समान है। 

विजयनगर में चार राजवंशो का साम्राज्य रहा, सालुव वंश सन् 1485 से 1505 ई0, तुलुव वंश 1505 से 1570 ई0 तथा अरविडु वंश सन् 1570 से 1650 ई0 तक इन चार राजवंशो के शासको का साम्राज्य रहा। इनमें से तुलुव वंश के राजा कृष्णदेव राय 1505 से 1570 ई0 को सबसे प्रतापी राजा माना जाता है। इनके शासनकाल के दौरान विजयनगर सैनिक की दृष्टि से दक्षिण भारत का सबसे शक्तिशाली राज्य था।   



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