(लोटन बाबा) रोलिंग संत lotan baba the rolling saint

मोहन दास जिन्हें रोलिंग संत अर्थात लोटन बाबा कहा जाता है। भारत के एक ऐसे संत जो अपनी भक्ति यात्रा के दौरान अपने शरीर को जमीन पर लौटकर पूरा करते है। उनका कहना है, वे ये यात्रा जनकल्याण एवं शांती के लिए करते है। जमीन पर लौटकर उन्होनें सर्वप्रथम अपनी यात्रा की शुरूआत सबसे पहले मध्य प्रदेश में अपने गृहनगर रतलाम से शुरू की उनके साथियों द्वारा बताया गया कि वे एक दिन में लगभग 10 कि0मी0 से लेकर 12 कि0मी0 की यात्रा लौटकर करते है। 

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मोहन दास ने लगभग 12 साल की उम्र में घर छोड़ने के बाद एक बाबा का जीवन शुरू किया उनका कहना कि वे पहले विद्युत विभाग में लाइन मैन थे, इन्होनें एक ही स्थान पर खडे़ होकर 7 वर्ष तक खडे़ होकर तपस्या की। एकबार ये पाकिस्तान और भारत के बीच सीमा पार कर गुरू नानक देव के जन्म स्थान ननकाना साहिब से सिख तीर्थस्थल और अन्य धार्मिक स्थानों की यात्रा करना चाहते थे। 

परन्तु बाघा के पास सीमा सुरक्षा बल और अन्य अधिकारियों ने जोर देकर लोटन बाबा को कहा कि उन्हें सीमा को पार करने के लिए पासपोर्ट और वीजा प्राप्त करने की आवश्यकता होगी। और उनके पास उस समय कुछ भी नही था। इस बात पर लोटन बाबा बोले कि वे कोई राजनेता नही है। जिसे दूसरे देश में जाने के लिए पासपोर्ट एवं बीजा की जरूरत पडे़ सरकार को यह बात समझनी चाहिएं और यात्रा के लिए अनुमति दे देनी चाहिए।

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