12 ज्योतिर्लिंग
श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग- यह पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग कहा जाता है। श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र बेरावल बंदरगाह में स्थित है। शिव पुराण के अनुसार चन्द्र देव ने दक्ष प्रजापति की 21 कन्याओं के साथ विवाह किया, चन्द्र देव केवल एक ही पत्नी से प्रेम करते थे, जिसका नाम रोहिणी था, वाकि अन्यो से चन्द्र देव जी को किसी भी प्रकार का लगाव नही था, जब दक्ष प्रजापति को यह पता चला तो दक्ष प्रजापति ने चन्द्र देव को श्राप दे दिया और उनका शरीर धिरे-धिरे क्षीण होने लगा और चन्द्र देव जी क्षयरोग से ग्रसित हो गये, तब उन्होनें इस स्थान पर जाकर भगवान शिव की आराधना की थी, जिससे भगवान शिव ने उन्हें क्षय रोग से मुक्त किया, लोकमान्यताओ के अनुसार भगवान श्री कृष्ण जी ने भी अपना देह त्याग इसी स्थान में किया था। यहां पर तीन नदियों का संगम है, हिरण नदी, कपिला नदी और सरस्वती नदी।
श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग - मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से सभी पापों का अन्त हो जाता है। यह ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्री शैल पर्वत पर स्थित है। मल्लिका अर्थात माता पार्वती एवं अर्जुन भगवान शिव को कहा गया है, मान्यताओं के अनुसार जब भगवान शिव के जेष्ठ पुत्र कार्तिकेय गुस्सा होकर क्रोंच पर्वत पर चले गये तो भगवान शिव और माता उनसे मिलने गयी, परन्तु कार्तिकेय वहां से दूर चले गये उस समय उस पर्वत पर भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुये। महाभारत में कहा गया है, कि श्री शैल पर्वत पर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।
श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन- यह भगवान शिव दक्षिणा मुखी ज्योतिर्लिंग है। यह स्थान मध्य प्रदेश में उज्जैन नगरी में स्थित है, इसे स्वंम भू या महाकालेश्वर भी कहा जाता है, प्रतिवर्ष सिहंस्थ के समय मंदीर को सजाया जाता है, एवंम प्रतिदिन सुबह भस्मभूति के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग- यह मध्य प्रदेश में खडवा जिले में नर्मदा नदी के बीच मान्धाता द्वीप पर स्थित है। यहां के पहाडी के चारो ओर जो नदी बहती है। उससे ॐ के आकृति बनती है, जिसमें 68 तीर्थ है, जिसमें 33 करोड़ देवी, देवता निवास करते है। ओकारेश्वर का मूल नाम मान्धाता है, मान्यता है कि राजा मान्धाता ने यहा घोर तप किया तथा राजा मान्धाता ने भगवान शिव को प्रसन्न कर यही पर रहने का वरदान मांगा तभी से इस नगरी को ओकारेश्वर मान्धाता कहा जाता है।
श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग - केदारनाथ ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंग में से एक माना जाता है। यह उत्तराखण्ड के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है, जो कि बद्रीनाथ के समीप है। केदारनाथ का वर्णन स्कंन्द पुराण एवं शिव पुराण में मिलता है।
श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग- यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र जिले पुणे नामक स्थान से 100 कि0मी0 दूर सह्यद्री नामक पर्वत पर स्थित है, इस स्थान को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है, मंदिर के पास भीमा नामक नदी बहती है, जो कृष्णा नदी में जाकर मिलती है। पौराणिक मान्यताओ के अनुसार कुम्भकरण एक राक्षस था जब भगवान राम ने उसका वध किया उसके बाद उसके पुत्र का जन्म हुआ जब उसकी माॅं ने उसे बताया कि उसके पिता को भगवान राम द्वारा मारा गया तो वह बदला लेने के आतुर होने लगा। तथा उसने भगवान ब्रह्य की घोर तपस्या की और वरदान प्राप्त करने के पश्चात उसने मानवो एवं देवताओ के सताना प्रारम्भ कर दिया जिसे देवता, मानव परेशान हो गये, और वे भगवान शिव के पास गये, कुम्भकरण के पुत्र भीम से लड़ने के लिये तैयार हो गये, और भगवान शिव ने राक्षस भीम का अंत किया, और राख कर दिया और भगवान शिव सभी देवताओ के आग्रह पर वहां विराजमान हो गये, जो भीमा शंकर के रूप में आज भी विद्यमान है। मान्यता है, कि जो मनुष्य प्रतिदिन यहां के दर्शन करता है, उसके जन्म-जम्मो के पाप घुल जाते है।
श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग- यह ज्योतिलिंग भी 12 ज्योर्तिलिंगो में एक है। काशी को भगवान शिव की प्रिय नगरी के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यता है। कि प्रलय आने पर भी यह स्थान सुरक्षित रहेगा। यह स्थान उत्तर प्रदेश में स्थित है।
त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग- यह ज्योतिलिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है। इस ज्योतिलिंग के समीप बाह्म गिरी नामक पर्वत स्थित है।
श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग - यह स्थान झारखण्ड के पूर्व बिहार प्रान्त के संथाल दुमका नामक स्थान में स्थित है।
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग - भगवान शिव को नागो का देवता माना जाता है। बाॅसुकी इनका प्रिय है। जिसे भगवान शिव गले में धारण करते है। यह स्थान गुजरात के द्वारिका नामक स्थान में स्थित है।
श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग - रामेश्वर ज्योतिलिंग तमिलनाडु में स्थित है। इस ज्योतिलिंगकी स्थापना भगवान श्री राम ने की थी।
श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग - यह ज्योतिलिंग महाराष्ट्र के संभाली नगर के समीप दौलाताबाद के पास स्थित है। यह भगवान शिव का अंतिम ज्योतिलिंग है।
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