रिफांइड तेल - प्राचीन समय से खाने के लिए मुख्य रूप से जिस तेल का प्रयोग किया जाता है। सरसों, मूंगफली, तिल, सूर्यमूखी आदि के बीजों से तेल प्राप्त किया जाता है। लेकिन आज हमें इसके अलावा एक खाने का तेल और भी मिलता है। रिफांइड।
क्या है रिफांइड तेल- रिफांइड अर्थात जिसका अर्थ हुआ परिशोधित करना अर्थात शुद्ध तेल में गंध (सरसो) चिपचिपापन आदि हाने के कारण आम लोग इसे उपयोग में नही लाता बल्कि परिशोधित तेल का प्रयोग उचित समझते है। कोल्हु या आधुनिक मशीनों की सहायता से तेल प्राप्त करने के पश्चात् उसे परिशोधित किया जाता है। जिसमें लगभग 5 या 6 केमिकलो का प्रयोग किया जाता है। यदि तेल को और अधिक (डबल) रिफांइड करना है। तो उसमें इससे भी ज्यादा कैमिकलो का प्रयोग किया जाता है। जैसे कास्टिक सोडा, फाॅस्फेरिक एसिड ब्लीचिंग आदि अनेकों प्रकार के केमिकलो का प्रयोग किया जात है। है। आप अच्छे ढंग से अनदाजा लगा सकते है। यह तेल यानि परिशोधित तेल हमारे स्वास्थ के लिए लाभदायक है। या हानिकारक है।
परिशोधित (रिफांइड) तेल में पोषक तत्वो का आभाव - सरसों के तेल में या अन्य तेलो में गंध को हटाने के लिए केमिकलो का प्रयोग किया जाता है। जिससे उसमें उपस्थित प्रोटीन भी नष्ट हो जाती है। जब तेल पूर्ण रूप से रिफांइड हो जाता है। तो इसमें से पोषक तत्व व उसमें उपास्थि प्रोटीन आदि भी नष्ट हो जाते है।
वास्तव में हमारे शरीर को सुव्यवस्थित रखने के लिए हमें प्रोटीन और चिकनाहट युक्त तत्वो की आवश्यकता होती है। जो हमें रिफांइड आयल से नही मिल पाती है। जिसके कारण घुटने दुखना, हडियों में दर्द, कमर दुखना, ह्नदय रोग आदि अनेको रोगों की समस्या हो जाती है।
वास्तव में हमारे शरीर को सुव्यवस्थित रखने के लिए हमें प्रोटीन और चिकनाहट युक्त तत्वो की आवश्यकता होती है। जो हमें रिफांइड आयल से नही मिल पाती है। जिसके कारण घुटने दुखना, हडियों में दर्द, कमर दुखना, ह्नदय रोग आदि अनेको रोगों की समस्या हो जाती है।
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुये हमें खाने के लिए शुद्ध तेल का चुनाव करना चाहिए।
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