ओणम
भारत वर्ष में कई त्योहार मनाये जाते है। इनमें से एक है। ओणम जो केरल राज्य में (दक्षिण भारत) श्रावण मास में मनाया जाता है। प्रत्येक त्योहार के साथ कुछ कथा अवश्य जुडी होती है, जैसे दिपावली, होली, आदि अनेके प्रकार की त्योहार की तरह ओणम त्योहार भी कुछ कहानियाँ जुडी हुई है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार - राजा महाबली केरल राज्य में राज्य करते थे, उनका राज्य पूर्ण रूप से खुशहाल था। महाबली जो कि एक अत्यन्त पराक्रमी राजा थे, महाबली ने अपने
पराक्रम पृथ्वी एवं पाताल लोक पर स्वामित्व स्थापित किया, तत्पश्चात उन्होनें आकाश पर अपना अधिपत्य बढाना प्रारम्भ किया जिसके फलस्वरूप देवराज इन्द्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की वे उन्हें स्वर्ग वापिस दिलाए, जिस पर भगवान विष्णु ने वामन् अवतार रखा और महाबली से तीन पग भूमि मांगी चूकि महाबली एक दानी राजा था, उन्होने भगवान विष्णु को तीन पग धरती दे दी और भगवान विष्णु ने अपने तीनों पगो से तीनो लोको को नाप लिया। महाबली की प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने राजा महाबली को वर्ष में एक बार पृथ्वी पर अपने राज्य में आने का आशीर्वाद दिया, केरल वासियों का विश्वास है कि प्रत्येक वर्ष महाबली ‘तिरूओणम’ के दिन केरल राज्य में आते है। इस दिन महिलाऐ उनके स्वागत के लिए अपने घरो के प्रवेशद्वारो को विभिन्न कलाओं से सजाते है। और रात्री होने पर दीप जलाते है। मुख्यतः ओणम का त्योहार पांच दिन का मनाया जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार - राजा महाबली केरल राज्य में राज्य करते थे, उनका राज्य पूर्ण रूप से खुशहाल था। महाबली जो कि एक अत्यन्त पराक्रमी राजा थे, महाबली ने अपने
पराक्रम पृथ्वी एवं पाताल लोक पर स्वामित्व स्थापित किया, तत्पश्चात उन्होनें आकाश पर अपना अधिपत्य बढाना प्रारम्भ किया जिसके फलस्वरूप देवराज इन्द्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की वे उन्हें स्वर्ग वापिस दिलाए, जिस पर भगवान विष्णु ने वामन् अवतार रखा और महाबली से तीन पग भूमि मांगी चूकि महाबली एक दानी राजा था, उन्होने भगवान विष्णु को तीन पग धरती दे दी और भगवान विष्णु ने अपने तीनों पगो से तीनो लोको को नाप लिया। महाबली की प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने राजा महाबली को वर्ष में एक बार पृथ्वी पर अपने राज्य में आने का आशीर्वाद दिया, केरल वासियों का विश्वास है कि प्रत्येक वर्ष महाबली ‘तिरूओणम’ के दिन केरल राज्य में आते है। इस दिन महिलाऐ उनके स्वागत के लिए अपने घरो के प्रवेशद्वारो को विभिन्न कलाओं से सजाते है। और रात्री होने पर दीप जलाते है। मुख्यतः ओणम का त्योहार पांच दिन का मनाया जाता है।
ओणम के त्योहार के समय घर के आँगन विभिन्न प्रकार के फूलो की गोलाकार आकृति से सजाया जाता है। इसे ‘पुक्कलम’ कहते है, और भगवान विष्णु और महाबली की मूर्तियों को चावल के आटे और छोटे-छोटे सफेद पुष्पो से सजाया जाता है। त्योहार के दूसरे दिन को त्रिरूओणम कहते है। इस दिन घर से बाहर गये लोग अपने घर लौटते है। और त्योहार में शामिल होते है। घर के सभी सदस्य एक साथ मिलकर केले के पत्तों में भोजन करते है। केले के पत्तो पर भोजन करना अत्धिक पवित्र माना जाता है।
अन्य त्योहारो की भाॅंति इय त्योहार में भी कई प्रकार के व्यंजन बनाये जाते है। ये व्यंजन मुख्य रूप से धान, नारियल, केला जो यहाॅं की मुख्य पैदावार आदि अनेको चीजो से बनायी जाती है।
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