यह महल एक ऐतिहासिक महल है, जल महल का निर्माण राजा जय सिंह द्वितीय द्वारा किया गया, जल महल मानसागर झील के मध्य स्थित होने कारण इसे आई बाॅल के नाम से भी जाना जाता है, इसे रोमाटिक महल भी कहा जाता है, महल की चार मंजिल तो पानी में डुबी हुयी है, एक मंजिल पानी के उपर है। इस राजा इस महल का उपयोग रानी और पंडित के स्नान के लिए किया करते थे।
इस महल को राजा विशेष पलो एवं उत्सवों के लिए उपयोग किया करते थे, जल महल की जल की जलाशय की पूर्ति के लिए राजा जय सिंह ने द्वारा वैभावती नदी पर बांध बनाकर किया। इस महल का निर्माण सन् 1799 ई0 में किया गया, झील को शुद्व रखने के लिए वाटर सिस्टम लगाया गया है, झील में जमे हुये कचरे को निचे से बाहर निकाला जाता है, जल महल से थोडा आगे जाने पर चमेली का बाग स्थित है, जहां की खुशबू दर्शको का मन मोह लेती है, साथ ही विशाल पर्वत एवं गुलाबी शहर दिखाई देता है, चाँदनी रात में झील बहुत ही सुन्दर लगती है, इसके अलावा यहां सुन्दर पक्षी को भी दिखाई देते है। यहां लगभग 1 लाख वृक्षो को लगाया है।
इस महल को राजा विशेष पलो एवं उत्सवों के लिए उपयोग किया करते थे, जल महल की जल की जलाशय की पूर्ति के लिए राजा जय सिंह ने द्वारा वैभावती नदी पर बांध बनाकर किया। इस महल का निर्माण सन् 1799 ई0 में किया गया, झील को शुद्व रखने के लिए वाटर सिस्टम लगाया गया है, झील में जमे हुये कचरे को निचे से बाहर निकाला जाता है, जल महल से थोडा आगे जाने पर चमेली का बाग स्थित है, जहां की खुशबू दर्शको का मन मोह लेती है, साथ ही विशाल पर्वत एवं गुलाबी शहर दिखाई देता है, चाँदनी रात में झील बहुत ही सुन्दर लगती है, इसके अलावा यहां सुन्दर पक्षी को भी दिखाई देते है। यहां लगभग 1 लाख वृक्षो को लगाया है।
जहाँ आज जल महल है, पहले उस स्थान का उपयोग जल को संचित करने के लिए किया जाता था, लगभग 1596 ई0 के समय इस स्थान पर पानी का अकाल पड़ गया था, जिस कारण आमेर के शासक जय सिंह सिह ने एक युक्ति निकाली जिससे जल की पूर्ति हो सके, आमेर पर्वत और अमागढ पर्वत से पानी संचित कर इस झील में जमा किया गया। बांध 300 मीटर (980 फीट) लंबा एवं 28.5-34.5 मी0 गहरा है पानी को बहाने के लिए तीन गेटो का निर्माण किया गया है ताकि सिंचाई के लिए पानी स्थानांतरित किया जा सके।
इसे 17वी शताब्दी में पत्थरो का बनया गया था इस महल की दीवारो और छतो को विभिन्न चित्रो से सजाया गया है झील की सैर करने के लिए नाव का उपयोग किया जाता है, वृंदावन के नाविको ने राजपूतो की शैली में लकड़ी की नाव को बनाया है।
इसे 17वी शताब्दी में पत्थरो का बनया गया था इस महल की दीवारो और छतो को विभिन्न चित्रो से सजाया गया है झील की सैर करने के लिए नाव का उपयोग किया जाता है, वृंदावन के नाविको ने राजपूतो की शैली में लकड़ी की नाव को बनाया है।
जलमहल झील का आकार
महल का आकार लभगग वर्गाकार है, यह महल मध्यकालीन महलो की भाँती मेहराबों, बुर्जो, छतरियों एवं सीढ़ीदार है।
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