मुरूगन मंदिर, पलानी


मुरूगन अर्थात भगवान शिव के जेष्ठ पुत्र कार्तिकेय का नाम है। मुरूगन मंदिर डडिगुल के पलानी गांव में एक पहाड़ी पर स्थित है, यहां कई भक्त दर्शन, मुंडन एवं कान छिदवाते के लिए आते है, यह मंदिर कोयंबटूर और मदुरै से लगभग 100 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है। इसे पंचमित्र का पर्यावी भी माना जाता है, जो पांच घटको का बना हुआ मिश्रण है, तमिलनाडु राज्य के मदुराई में उत्तर-पश्चिम में स्थित पहाड़ी पलानी पहाड़ी है।




हिन्दू पौराणिक मान्याताओ के अनुसार जब एक बार नारद मुनि भगवान शिव को ज्ञान का फल चढ़ाने के लिए कैलास पर्वत पर गये तो नारद मुनि ने उस फल को भगवान शिव के उस पुत्र को देना चाहा जो पूरी पृथ्वी का सबसे पहले चक्कर लगायेगा। कार्तिकेय जिन्हे मुरूगन के नाम से भी जाना जाता है, अपने वाहन मोर के साथ पूरा चक्कर लगाने के लिए चल दिये दूसरी ओर भगवान शिव के दूसरे पूत्र गणेश ने सोचा कि उनका पूरा संसार तो माता-पिता ही है, और उन्होंने अपने माता-पिता का चक्कर लगाया। मरूगन जब वापस पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाकर आये तो क्रोधित हो उठे जब उन्होनें देखा कि गणेश ने माता-पिता का चक्कर लगाया इस प्रकार वे एकांत वास के लिए इस स्थान पर चले गये। जो स्थान पलानी के नाम से जाना जाता है।

चौथी और पांचवी शताब्दी में यह स्थान चेरा समा्रlज्य के राजा पेरूमल के अधीन में था, एक दिन जब राजा पेरूमल शिकार करने के लिए गये कुछ दूर चलने के बाद वे रास्ता भटक गये, तथा उन्होंने एक पहाड़ी के नीचे शरण ली रात्री में जब वे विश्राम कर रहे थे, तो सपने में स्वामी सुब्रह्यण्यम् ने उन्हें दर्शन दिये। और राजा पेरूमल को आदेश दिया कि वह प्रतिमा का पुनः निर्माण करे। राजा ने प्रतिमा को ढूढा और मंदिर का निर्माण करवाया एवं पूजा अर्चना की।

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