इस स्थान का निर्माण महाराणा कुम्भा ने 15वी सदीं सन् 1459 में किया कुम्भलगढ़ को अजेयगढ़ के नाम से भी जाना जाता है। इस दुर्ग के चारों ओर एक विशाल दुर्ग का निर्माण कराया गया है ताकि विरोधी दुश्मन आसानी से आक्रमण न कर पाये इसका विश्व में द्वितीय स्थान है।
यह राजस्थान उदयपुर से 78 किमी0 दूर 38 किमी0 व्यास में फैला हुआ है। जब इस किले का निर्माण हुआ उस समय महाराणा कुम्भा ने सिक्के बनाये जिन सिक्कों पर दुर्ग का नाम व उनका नाम अंकित है।
इस किले की दिवार विशाल है जिसमें प्रवेश द्वार व किसी विशेष आपत्ती के समय बाहर जाने के लिए द्वार का निर्माण किया है। इस किले में मंदिर, महल, तालाब, छत्रिया, स्तम्भ, तथा पूजा अर्चना के लिए यज्ञ कुण्ड का निर्माण किया गया था।
![]() |
इस किले को बनाने के लिए कई पहाड़ियों एवं घाटियो को उपयोग में लाया गया है, इस क्षेत्र में पहाड़ी भूमि अर्थात ढलान वाली भूमि को जलाशयो के लिए तथा समतल भूमि को कृषि के लिए उपयोग में लाया गया है।
कुम्भलगढ़ दुर्ग जुडे़ रोचक तथ्य
यह स्थान महाराणा प्रताप की जन्मस्थली रहा है, इसके अलावा इस किले में ही राजा सांगा एवं पृथ्वी राज का बाल्यकाल व्यतीत हुआ एवं महाराजा उदय सिहं को पन्ना ने कुम्भलगढ़ में ही दुश्मनों से बचाकर उनका पालनपोषण किया था।
0 Comments
thank for reading this article