घराट kya hai कैसे अनाजों को पिसता है, घराट बिना इंजन व बिना बिजली के

आधुनिक युग में घट या घराट धिरे-धिरे अपना वजूद खो रहे है, वही किसी समय घराट के बिना मानव जीवन अधूरा था, उस समय जब गेहूँ से आटा तैयार करने, मसाला आदि पिसने के लिए मानव पूर्ण रूप से घराट पर निर्भर था, मुख्यतः वहां जहां पानी की पर्याप्त मात्रा रहती थी, समय परिर्वतन के साथ-साथ घराट भी अपना आधुनिकरण रूप बिजली से चलने वाली चक्की, डीजन ईजन से चलने वाली चक्की का रूप ले चुके है।



घराट चक्की कैसे कार्य करती है

घराट मुख्य रूप से चलते हुये पानी के स्रोत के निकट लगाया जाता है, घराट के चलने के सभी कार्य पानी के वेग पर ही निर्भर करता है पानी का वेग जितना अधिक होता है, उतना ही घराट तेजी से चलता है। इसमें एक लकड़ी की बनी हुयी साफ्ट होती है जिसमें चक्र के समान कई लकड़ी की तीली लगी होती है, जब पानी का वेग इन तीलीयो पर पड़ता हैं तो यह घुमने लगता है, जिससे साफ्ट घुमने लगती है, और उससे जुडा हुआ एक पत्थर भी घुमने लगता है। इसमें दो गोल आकृति के पत्थरों का उपयोग किया जाता हैं एक पत्थर नीचे तथा दूसरा पत्थर उपर रखा जाता है नीचे वाले पत्थर को स्थ्रि किया जाता है जिससें उसमें किसी भी प्रकार की गति न हो दूसरे पत्थर को घूमते हुये साफ्ट से जोड़ा जाता है। उपर वाले पत्थर में एक गोल आकृति का छिद्र बना होता है जिससे अनाज गेहूँ, मसाला, बाजरा, आदि अनेक प्रकार के अनाज इस छिद्र की सहायता से दो पत्थरो के बीच जाता है, और अनाज पिसने लगता है, और इस प्रकार आटा, मसाला आदि वस्तुआंे को तैयार किया जाता है।

घट या घराट के निर्माण में उपयोग लायी जानी वाली वस्तुये

 
इसमें एक व्हील के समान आक्ति, एक लम्बी साफ्ट लकड़ी के, दो तरासे गये गोल पत्थर, अनाज रखने के लिए एक वर्तन, दो छोटे- लकड़ी के स्टीक तथा अन्य सामग्री ।

घराट का उपयोग

 
कई लोग आज भी घराट का उपयोग करते है, इससे गेइूँ, मडवा, जो, बाजरा, मसाले आदि अनेक वस्तुओं की पिसाई की जाती है। इसके अलावा इसमें डायनेमो को चलाकर बिजली भी तैयार की जाती है। घराट से लगभग एक घंटे में 50 किलो अनाज एवं 2 किलोवाट बिजली तैयार की जा सकती है। है ना दोस्तो काम की चीज।

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