यह प्रसंग भगवान शिव से जुड़ा है। जब सभी देवो द्वारा भगवान शिव से प्रार्थना की गयी वे प्रजापति की कन्या से विवाह कर संसार कर कल्याण करे। यद्यपि भगवान शिव वैराग्य जीवन चाहते थे। सभी देवो की प्रार्थना पर भगवान शिव ने दक्ष प्रजापति की कन्या सती से विवाह किया। यद्यपी प्रजापति दक्ष भगवान शिव को ओघड चर्म पहनने वाला कहकर संबोधित करते थे। तथा इस विवाह से सहमत नही थे। इस प्रकार माता सती के आग्रह पर विवाह भगवान शिव से होता है।
दक्ष प्रजापति इस प्रकार अपने अपमान का बदला लेने के लिए एक यज्ञ करता है। जिसमें सभी देवों गन्धर्व कीट-पतंगो को निमंत्रण देता है। लेकिन भगवान शिव को निमंत्रण नही देता है। जब माता सती को यह पता लगता है। कि सभी देवों, गन्धवों कीट-पतंगो को उनके पिता द्वारा इस महानयज्ञ में निमंत्रण दिया गया लेकिन उनके पति को निमंत्रण नही दिया गया।
वे इसे अपने पति का अपमान समझते है। इस प्रकार माता सती भगवान शिव से यज्ञ में जाने के लिए कहती है। लेकिन भगवान शिव सती को समझाते है। बिना निमंत्रण के जाना सही नही है। लेकिन सती के जिद्द् के बाद भगवान शिव उन्हें जाने के लिए कहते है। जैसे ही माता सती वहां पहँुचती है। पिता दक्ष प्रजापति द्वारा अपने पति का अपमान सुनकर माता सती सहन नही कर पाती है। और यज्ञ कुंड में अपनी देह आहुती दे देती है। जब भगवान शिव को यह पता लगता कि सती ने अपना देह यज्ञ कुंड में त्याग दिया है। तो भगवान शिव अपने गणों को आदेश देता है। कि यज्ञ को ध्वंस कर दो आज्ञा पाकर सभी गण प्रजापति के यज्ञ को ध्वंस कर देते है। तथा दक्ष प्रजापति को दण्ड देते है।
आइए जानते 51 शक्ति पीठ कहाँ कहाँ है। शक्ति पीठ के बारे में तंत्रचूणामणी में बताया गया है। तंत्र चूणामणी के अनुसार शक्तिपीठों की संख्या 52 है। मुख्तः 51 शक्तिपीठ ही पाये जाते है।
हिंगलाज शक्तिपीठ शर्कररे- शक्तिपीठ सुगंधा- शक्तिपीठ
महामाया- शक्तिपीठ ज्वालाजी- शक्तिपीठ त्रिपुरमालिनी- शक्तिपीठ
वैघनाथ- शक्तिपीठ महामाया- शक्तिपीठ दाक्षायणी- शक्तिपीठ
विरजा- शक्तिपीठ गंडकी- शक्तिपीठ बहुला- शक्तिपीठ
उज्जयिनी- शक्तिपीठ त्रिपुर सुंदरी- शक्तिपीठ भवानी- शक्तिपीठ
भ्रामरी- शक्तिपीठ कमाख्या- शक्तिपीठ प्रयाग- शक्तिपीठ
जंयती- शक्तिपीठ युगाधा- शक्तिपीठ कालीमठ- शक्तिपीठ
कीरीट- शक्तिपीठ विशालाक्षी- शक्तिपीठ कन्याश्रम शक्तिपीठ
वैघनाथ- शक्तिपीठ महामाया- शक्तिपीठ दाक्षायणी- शक्तिपीठ
विरजा- शक्तिपीठ गंडकी- शक्तिपीठ बहुला- शक्तिपीठ
उज्जयिनी- शक्तिपीठ त्रिपुर सुंदरी- शक्तिपीठ भवानी- शक्तिपीठ
भ्रामरी- शक्तिपीठ कमाख्या- शक्तिपीठ प्रयाग- शक्तिपीठ
जंयती- शक्तिपीठ युगाधा- शक्तिपीठ कालीमठ- शक्तिपीठ
कीरीट- शक्तिपीठ विशालाक्षी- शक्तिपीठ कन्याश्रम शक्तिपीठ
सावित्री- शक्तिपीठ गायत्री- शक्तिपीठ श्री शैल- शक्तिपीठ
दैवगर्भा- शक्तिपीठ कालमाधव- शक्तिपीठ शोणदेश- शक्तिपीठ
शिवानी- शक्तिपीठ वृदावन- शक्तिपीठ नारायणी- शक्तिपीठ
वाराही- शक्तिपीठ अपर्णा- शक्तिपीठ श्री सुंदरी- शक्तिपीठ
कपालनी- शक्तिपीठ चंद्रभागा- शक्तिपीठ अवंती- शक्तिपीठ
भ्रामरी- शक्तिपीठ सर्वशैल- शक्तिपीठ गोदावरीतीर- शक्तिपीठ
कुमारी- शक्तिपीठ उमा महादेवी- शक्तिपीठ कालिका- शक्तिपीठ
जयदुर्गा- शक्तिपीठ महिषमर्दिनी- शक्तिपीठ यशोरेश्वरी- शक्तिपीठ
फुल्लरा- शक्तिपीठ नंदनी- शक्तिपीठ इंद्राक्षी- शक्तिपीठ
अंबिका- शक्तिपीठ
दैवगर्भा- शक्तिपीठ कालमाधव- शक्तिपीठ शोणदेश- शक्तिपीठ
शिवानी- शक्तिपीठ वृदावन- शक्तिपीठ नारायणी- शक्तिपीठ
वाराही- शक्तिपीठ अपर्णा- शक्तिपीठ श्री सुंदरी- शक्तिपीठ
कपालनी- शक्तिपीठ चंद्रभागा- शक्तिपीठ अवंती- शक्तिपीठ
भ्रामरी- शक्तिपीठ सर्वशैल- शक्तिपीठ गोदावरीतीर- शक्तिपीठ
कुमारी- शक्तिपीठ उमा महादेवी- शक्तिपीठ कालिका- शक्तिपीठ
जयदुर्गा- शक्तिपीठ महिषमर्दिनी- शक्तिपीठ यशोरेश्वरी- शक्तिपीठ
फुल्लरा- शक्तिपीठ नंदनी- शक्तिपीठ इंद्राक्षी- शक्तिपीठ
अंबिका- शक्तिपीठ
0 Comments
thank for reading this article