वास्तव में प्रकृति ने मानव को सभी चीजें उपलब्ध करायी है। बस कमी है तो उसके बारे में जानने की आज हम पढ़ेगे घिंघारू के बारे में जो कि हिमालयी क्षेत्रों में पाये जाने वाला एक झाड़ीनुमा वृक्ष होता है। घिंघारू को पहाड़ो का छोटा सेब भी कहा जाता है। जिसमें अनगिनित फल लगते है। पकने से पहले घिंघारू के फल हल्के ग्रीन कलर के होते है। लेकिन पकने पर यह लाल रंग के हो जाते है। इसके फल छोटे आकार के होते है। यद्यपि यह एक जंगली वनस्पति है। फिर भी बच्चे इसे बड़े चाव से खाते है। इसका पौधा झाडीनुमा होता है। तथा इसके फल निकालते समय थोड़ी बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है। क्योकि फल और पत्तियों के साथ कांटे भी पाये जाते है। इसका वैज्ञानिक नाम पायरा कैंथा क्रेनुलाटा है। यह लगभग 800 से 2500 मीटर की ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है।
स्वाद- घिंघारू फल का स्वाद हल्का खट्टा- मिठा होता है। तथा इस फल के अंदर प्रचुर मात्रा में बीज भी पाये जाते है। इसकी पत्तियों को बारिक पीसने या मसलने पर हल्का गाढ़ा सा गम मिलता है।
1. इसकी पत्तियो से पहाड़ी हर्बल चाय भी बनायी जाती है।
2. इसका उपया्रेग दाँतो दर्द, दातून के लिए भी किया जाता है।
3. इसकी लकड़ी से लाठी बनायी जाती है।
4. इसके फलों में खनिज लवण, विटामिन्स आदि पाये जाते है।
5. हृदय रोग में लाभप्रद
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