यह वृक्ष मुख्यः इमारती वस्तुओं को बनाने में उपयागी है। इसके अलावा देवदार के वृक्ष से तेल प्राप्त किया जाता हैै। देवदार का वृक्ष हिमालय क्षेत्र में 1500 मी0 से 3200 मी0 ऊँचाई वाले क्षेत्रो में पाया जाता है। देवदार का वृक्ष लगभग 40 से 50 मीटर ऊँचा होता है।
देवदार वृक्ष कहाँ पाया जाता है– देवदार का वृक्ष मुख्यः उत्तर मध्य भारत में उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, नेपाल, तिब्बत, आदि अनेक स्थानों में पाया जाता है। हिमाचल में इसे कैलोन, कश्मीर में दिआर और उत्तराखण्ड में देवदार के नाम से जाना जाता है। यह वृक्ष सदैव हरा-भरा रहने वाला शंकुधारी वृक्ष है। इसका तना मुख्तः सीधा एवं इसकी छाल काली व खुरदरी एवं छाल के अंदर तैलीय गुण मौजूद होते है। इसकी पत्तिया सूई के आकार की होती है। देवदार का का वानस्पतिक नाम सीड्रस देवदारा है। देवदार के वृक्ष से जो तेल प्राप्त किया जाता है। जिसकी कीमत लगभग 500 रू0 प्रति किलाग्राम है।
देवदार वृक्ष कहाँ पाया जाता है– देवदार का वृक्ष मुख्यः उत्तर मध्य भारत में उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, नेपाल, तिब्बत, आदि अनेक स्थानों में पाया जाता है। हिमाचल में इसे कैलोन, कश्मीर में दिआर और उत्तराखण्ड में देवदार के नाम से जाना जाता है। यह वृक्ष सदैव हरा-भरा रहने वाला शंकुधारी वृक्ष है। इसका तना मुख्तः सीधा एवं इसकी छाल काली व खुरदरी एवं छाल के अंदर तैलीय गुण मौजूद होते है। इसकी पत्तिया सूई के आकार की होती है। देवदार का का वानस्पतिक नाम सीड्रस देवदारा है। देवदार के वृक्ष से जो तेल प्राप्त किया जाता है। जिसकी कीमत लगभग 500 रू0 प्रति किलाग्राम है।
मुख्य उपयोग
इसका उपयोग काष्ठ में इमारत बनाने में किया जाता है।
आयुर्वेद में जोड़ो के दर्द एवं कमर दर्द में उपयागी माना जाता है।
इसके तेल से साबुन, इत्र आदि भी बनाये जाते है।
देवदार के बीज के लाभ
देवदार के बीज में बीटा-कैरोटिन पाया जाता है। जो आँखो के लिए काफी फायदेमंद है।
इसके बीज शरीर में बढे़ हुये कोलेस्टाªल की मात्रा को कम करता है।
इसके बीजों में कैल्श्यिम भी पाया जाता है।
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