प्राचीन समय से ही उत्तराखण्ड ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रहा है। आज भी कई साधु-संत देवभूमि में तप करते है। इन पाँच प्रयागो में सभी जमह पर अलग-अलग नदियों का संगम होता है। जहाँ अलकन्दा, भागीरथी, भीलागना, नन्दाकिनी, मंदाकिनी, पिण्डर, विष्णुगंगा एवं धौलीगंगा आदि नदियो का संगम होता है।
पंच प्रयाग के नाम—ये पाँच प्रयाग देवप्रयाग, नन्दप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, विष्णुप्रयाग है।
आइए जानते है देव भूमि के पाँच प्रयाग के बारे में—
स्थानीय लोगों के मतानुसार भागीरथी नदी को सास और अलकनन्दा नदी को बहू की संज्ञा दी गयी। पौराणिक कथाओ के अनुसार देवप्रयाग में भगवान विष्णु ने राजा बली से 3 पग धरती की माँग की थी। यहाँ का दृश्य प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा है। यदि आप प्रकृति के फैन है तो इन स्थानो पर आपको असीम शांति प्राप्ति होगी।
पंच प्रयाग के नाम—ये पाँच प्रयाग देवप्रयाग, नन्दप्रयाग, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, विष्णुप्रयाग है।
आइए जानते है देव भूमि के पाँच प्रयाग के बारे में—
देवप्रयाग
देवप्रयाग संगम— देवप्रयाग अलकनन्दा एवं भागीरथी नदी का संगम स्थल है। देवप्रयाग उत्तराखंड के टेहरी जिले में स्थित है। यही से गंगा का प्रारम्भ हुआ देवप्रयाग ऋषिकेश से लगभग 70 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है। देवप्रयाग में दो कुण्ड है जिन्हें ब्रह्यकुण्ड तथा वशिष्ठकुण्ड के नाम से जाना जाता है। ब्रह्यकुण्ड भागीरथी नदी की ओर तथा वशिष्ठकुण्ड अलकनन्दा की ओर स्थित है।स्थानीय लोगों के मतानुसार भागीरथी नदी को सास और अलकनन्दा नदी को बहू की संज्ञा दी गयी। पौराणिक कथाओ के अनुसार देवप्रयाग में भगवान विष्णु ने राजा बली से 3 पग धरती की माँग की थी। यहाँ का दृश्य प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा है। यदि आप प्रकृति के फैन है तो इन स्थानो पर आपको असीम शांति प्राप्ति होगी।
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देवप्रयाग |
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