चार धाम की यात्रा में से एक धाम यमुनोत्री है। हिंदू धर्म में चारधाम यात्रा का विशेष महत्त्व है। ये चारधाम यमुनात्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ है। यमुनोत्री उत्तराखंड राज्य में उत्तरकाशी जिले में स्थित है। जो समुद्रतल से लगभग 3235 मी0 की ऊँचाई पर स्थित है। प्रत्येक वर्ष अक्षय तृतीय के दिन चारधाम की यात्रा का प्रारम्भ होता है। और दिपावली के बाद बंद होते है। यहाँ दो कुण्ड है। सूर्य कुण्ड और गौरी कुण्ड श्रद्धालु चावल और आलु को पोटली में बाँधकर कुण्ड में डालते है। कुछ समय बाद पोटली को निकालते है। चावल और आलू पक जाता है। इससे मां यमुना को भोग लगाकर श्रद्धालु प्रसाद के रूप में ग्रहण करते है।
यमुनोत्री की कथा— यमुना भगवान सूर्यदेव की पुत्री है। यम यमुना का भाई है। यमुना में स्नान करने से श्रद्धालु कष्टों से मुक्ति मिलती है व पाप घुल जाते है। ये गंगा के समान पवित्र है। पौराणिक परम्परा के अनुसार यहाँ असीत मुनि का आश्रम था। से हमेशा गंगा में स्नान में करने जाते है। अपने वृद्धावस्था में एक दिन वे नदी मेें स्नान करने ना जा पाए। तब यमुना देवी ने वहाँ एक झरना प्रकट किया जिसमें असीत मुनि ने स्नान किया। यह झरना आज भी वहाँ है।
भगवान सूर्य देव की दो पत्नियां थी छाया और संज्ञा पत्नी छाया से यमुना और यम हुए। यम को मुत्यु लोक मिला एवं यमुनोत्री नदी पृथ्वी पर बहने लगी कहा जाता है कि यदि कोई भैया दूज के समय यहाँ स्थान करे तो उसे यमलोक नही जाना पड़ता है तथा अकाल मुत्यु एवं भय से मुक्ति मिलती है।
यमुनोत्री का मौसम— आप यदि यहाँ की यात्रा का विचार बना रहे तो अपने साथ गर्म कपडे़ अवश्व रखिये। यहाँ के मौसम में बदलाव आता रहता है, मई से नवंबर के महिने में यहाँ का मौसम अच्छा रहता है। अप्रैल से जुलाई तक यहाँ का तापमान लगभग 6 डिग्री सेल्सियस से 20 डिग्री तक रिकार्ड किया गया है। यात्रा के दौरान श्रद्धालु को रेन कोट रखने चाहिए। नही तो स्थानीय दुकानो पर प्लास्टिक मोम का कोट उचित रेट पर मिल जाते है।
दिसंबर से मार्च तक यहाँ का तापमान शून्य से भी कम रहता है। यह क्षेत्र इस समय बर्फ से ढक जाता है।
यमुनोत्री का मंदिर- टिहरी के राजा प्रताप शाह द्वारा किया गया। मंदिर के प्रागण में एक विशाल शिला है। जिसे दिव्यशिला के नाम से जाना जाता है। एवं 19वीं शताब्दी में जयपुर की महारानी गुलेरिया ने किया इसका पुनः जीणोद्धार किया।
यमुनोत्री जाने का रास्ता—ऋषिकेश से मोटर वाहनों द्वारा यहाँ की यात्रा का प्रारम्भ होता है। यहाँ से आगे पहाड़ी मार्ग आरम्भ होता है। घुमावदार सड़के व प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर आनंद मिलता है। ऋषिकेश से यहाँ की दूरी लगभग 227 कि0मी0 है। यात्रा के दौरान बिच मे नरेन्द्रनगर चंबा, उत्तरकाशी कई अन्य पडाव है जहाँ पर अपनी आवश्यकता के लिए सामग्री ले सकते है। गाडी द्वारा फूलचट्टी तक पहुँचा जाता है।
यमुनोत्री पैदल यात्रा— फूलचट्टी से आगे 8 कि0 मी0 की यात्रा पैदल या पालकी या ट्टूओ द्वारा तय की जाती है।
0 Comments
thank for reading this article