गंगोत्री चार धाम यात्रा

गंगोत्री धाम चार धामो में से एक धाम है। यमुनोत्री धाम के दर्शन के बाद गंगोत्री धाम की यात्रा की जाती है। जो उत्तरकाशी से लगभग 100 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है। मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा ने किया। प्रत्येक वर्ष देश-विदेश से कई श्रद्धालु गंगोत्री माता के दर्शन के लिए आते है। यह समुद्रतल से 3042 मी0 की ऊँचाई पर स्थित है। प्रत्येक वर्ष अक्षय तृतीय के दिन चारधाम की यात्रा का प्रारम्भ होता है। और दिपावली के बाद बंद होते है

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गंगोत्री धाम का महत्वहिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार माँ गंगा को पृथ्वी पर लाने हेतु राजा भगीरथ ने कई वर्षो तक भगवान शिव की तपस्या की तथा भगवान शिव राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न हुये। भगवान शिव ने गंगा के वेग को अपनी जटाओं धारण किया तब गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई, और राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों का उद्धार किया।

गंगोत्री धाम गोमुख— गोमुख ही गंगा का उदगम स्थल है। गंगोत्री से गोमुख की दूरी 18 कि0मी0 है। ये यात्रा पैदल ही तय करनी होती है। यदि आप ट्टूओ से यात्रा करते है। तो भोजवासी तक इनकी सहायता से पहुँचा जा सकता है। और भोजवासा से 4 कि0मी0 की यात्रा पैदल ही तय करनी होती है। यहाँ का मौसम काफी ठंडा रहता है। यात्रा के दौरान बर्फ से ढके सुन्दर पर्वतो, ग्लेशियर, भोजपत्र के पेड़ो का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। यदि आप गौमुख जा रहे है। तो साथ में रेनकोट जरूर रखिये।

गंगोत्री धाम का रास्ता— दिल्ली से ऋषिकेश की दूरी 260 कि0मी0 है। ऋषिकेश से यहाँ से आगे पहाड़ी मार्ग प्रारम्भ हो जाता है। नरेन्द्र नगर, टेहरी, चम्बा होते हुऐ उत्तरकाशी पहुँचते है। उत्तकाशी से गंगोत्री 100 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है। ऋषिकेश से धारासु 144 कि0मी0 धारासु से गंगोत्री 124 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है। हरिद्वार से गंगोत्री धाम 287 कि0मी0,

गंगोत्री का तापमान- प्रत्येक वर्ष चारधाम की यात्रा अप्रैल या मई महिने से प्रारम्भ होती है। और अक्टूबर से नवंबर में समाप्त हो जाती है। गीष्मकाल में यहाँ का मौसम अच्छा रहता है। इस समय यहाँ का अधिकतम तापमान 20 डिग्री तथा न्युनतम तापमान 5 डिग्री रहता है।

गंगोत्री धाम मौसम—दिसंबर माह से मार्च तक यहाँ का तापमान शुन्य से भी कम रहता है। तथा पूरा क्षेत्र हिम से ढका रहता है। इस दौरान यात्रा बंधित रहती है।

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