हेमकुण्ड सिक्स धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है। जहाँ सिक्खों के 10वें गुरु गोविन्द सिंह ने तपस्या की थी। तथा खालसा पंथ की नीवं रखी। हेमकुण्ड की खोज लगभग सन् 1930 से प्रारम्भ हुयी। यह स्थान जिला चमोली के उत्तराखण्ड जिले में स्थित है।
हेमकुंड जाने का रास्ता— हेमकुण्ड बद्रीनाथ मार्ग पर जोशीमठ से लगभग 24 कि0मी0 दूर है। यहाँ गुरु गोविन्द सिंह की तपस्थली होने के कारण श्रद्धालु गुरु के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में यहाँ जाते है।
हेमकुंड जाने का रास्ता— हेमकुण्ड बद्रीनाथ मार्ग पर जोशीमठ से लगभग 24 कि0मी0 दूर है। यहाँ गुरु गोविन्द सिंह की तपस्थली होने के कारण श्रद्धालु गुरु के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में यहाँ जाते है।
यहाँ गोविन्द घाट तक यात्री आसानी से मोटर मार्ग से पहुँच जाते है। लेकिन गोविन्द घाट से आगे की यात्रा पैदल ही तय करनी होती है। हेमकुण्ड पहुँचने के लिए बिच-बिच में छोटे-छोटे पड़ाव है। गोविन्द घाट से 10 कि0मी0 की दूरी पर एक गाँव भ्यूँडार है और यहाँ से 4 कि0मी0 की दूरी पर घाघरिया है यहाँ पर यात्री लोग कुछ समय के लिए विश्राम करते है। फिर आगे की यात्रा प्रारम्भ करते है।
अगले दिन यात्री घांघरिया से आगे हेमकुण्ड के लिए प्रस्थान करते है। घांघरिया से दो मार्ग है एक मार्ग से फूलो की घाटी के लिए जाता है। तथा दूसरा मार्ग हेमकुण्ड के लिए हेमकुण्ड का प्राचीन नाम लोकपाल है। मान्यता है। कि लोकपाल त्रेता युग में लक्ष्मण जी की तपस्थली रही है। इसलिए हिन्दु लोगों के लिए भी यह स्थान आस्था का केन्द्र है। लोकपाल को पुष्करणी तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है।
हेमकुंड साहिब झील— यह 4632 मी0 की ऊँचाई पर स्थित पहाड़ो की गोद में बसा, सात पहाड़ियों के बिच एक पवित्र बर्फीली झील है। इस झील में सप्तऋषि पर्वत और हाथी पर्वत से पानी आता है यही से एक धारा निकलती है। जिसे हिमगंगा के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर श्रद्धालु डुबकी लगाते है, यद्यपि झील का पानी बर्फीला होता है। जो अटूट श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। स्नान के लिए पुरुष एवं महिलाओं की व्यवस्था अगल-अलग की गई है। यह स्थान काफी ऊँचाई पर होने कारण, लगभग साल भर में 7 महिनों तक बर्फ रहती है। जहाँ की यात्रा गोविन्दघाट से आगे पैदल तय करनी होती है।
हेमकुंड साहिब झील— यह 4632 मी0 की ऊँचाई पर स्थित पहाड़ो की गोद में बसा, सात पहाड़ियों के बिच एक पवित्र बर्फीली झील है। इस झील में सप्तऋषि पर्वत और हाथी पर्वत से पानी आता है यही से एक धारा निकलती है। जिसे हिमगंगा के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर श्रद्धालु डुबकी लगाते है, यद्यपि झील का पानी बर्फीला होता है। जो अटूट श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। स्नान के लिए पुरुष एवं महिलाओं की व्यवस्था अगल-अलग की गई है। यह स्थान काफी ऊँचाई पर होने कारण, लगभग साल भर में 7 महिनों तक बर्फ रहती है। जहाँ की यात्रा गोविन्दघाट से आगे पैदल तय करनी होती है।
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