रतनजोत जिसे अंग्रेज़ी में जैट्रोफा के नाम से जाना जाता है। इनके
फल मुख्तः गुच्छों में लगते है। पकने से पहले इनके फल हरे रंग के होते है,
और जब फल पूरी तरह परिपक्व हो जाते है, तो इनका रंग काला हो जाता है। ये
पौधा पहाड़ी क्षेत्रों में 1500 मी0 तक की ऊँचाई वाले क्षेत्रो में आसानी
से पनपते है, मैदानी इलाको में सामान्यतः सभी जगह इनको उगाया जा सकता है। इसके तेल का डीजल के रूप में प्रयोग करने से वातावरण में प्रदुषण नियंत्रित रहता है। बायो-डीजल से कार्बनडाईआक्साइड न के बराबर उत्पन्न होता है।
रतनजोत से बायोडीजल—
इस पौधे के बीजों से तेल निकालकर बायो-डीजल तैयार किया जाता है। जिसे मोटर-वाहनों के चलाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। आज जहाँ मोटर-वाहनो को चलाने के लिए डीजल की खपत तथा दाम दिनों दिन बढ़ते जा रहे है। इन सब चिजों को देखते हुए रतनजोत (जैट्रोफा) के पौधो की पैदावार बढ़ाना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ताकि डीजल की माँग की पूर्ति की जा सके।
रतनजोत जैट्रोफा के पौधो का रोपण तथा रख-रखाव-
जैट्रोफा के पौधे का रोपण सड़को के किनारे, खेतों के मीणो में बंजर भूमि में आसानी से कही भी किया जा सकता है। इनके पौधों को रोपण करने के बाद सबसे बड़ी बात तो यह है। कि इनके पौधों को न तो कोई जानवर खाता है, और ना ही कीट-पतंक इन पौधों को नुकसान पहुँचाता है।
रतनजोत के लाभ-
- इसके बीजो से तेल निकालकर बायो-डीजल बनाया जाता है। जो मोटर-वाहनो को चलाने में उपयोगी है।
- इसकी जड़ों और छाल को मोम तथा डाई बनायी जाती है।
0 Comments
thank for reading this article