रामेश्वर धाम का मंदिर


माता सिता की खोज में भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले रामेश्वरम में भगवान शिव की पूजा की थी। उसके बाद सेतु का निमार्ण किया। इसलिए यहाँ का नाम रामेश्वरम पड़ा। रामेश्वर धाम का मंदिर तमिलनाडु में जिला रामनाथपुरम में स्थित है।

रामेश्वर धाम राम सेतु— भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले सेतु का निर्माण किया। कहा जाता सेतु निर्माण में हनुमान जी, तथा वानर सेना द्वारा जय श्री राम का उदघोष करके पत्थरों पर श्री राम लिखा गया तथा पत्थरो को समुद्र में फेका गया और पत्थर समुद्र में तैरने लगे। सेतु का निर्माण पूर्ण होने के पश्चात् भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, हनुमान जी व उनकी सेना लंका पहुँचे और रावण तथा अन्य राक्षसो का अंत किया।



रामेश्वर धाम शिवलिंग— इस प्रकार रावण का अंत कर भगवान श्रीराम लक्ष्मण, हनुमान जी और वानर सेना माता सीता को लेकर वापस लोटे। भगवान श्री राम बह्मम हत्या के पाप से मुक्त होना चाहते थे, क्योकि रावण एक ब्राह्ममण था। अगस्त्य मुनि से इस बारे में विचार-विमर्श करते है। ऋषि अगस्त्य उन्हें सुझाव देते है। उन्हें रामेश्वरम में शिव पूजन करना चाहिए। इस कार्य को पूर्ण करने के लिए भगवान श्रीराम हनुमान जी से कैलाश से शिवलिंग लाने का कार्य सौपते है। माता सीता रेत का शिवलिंग बनाती है। पूजा का मूहर्त समाप्त होने से पहले उन्हे शिवलिंग स्थापित करना था। श्रीराम माता सीता द्वारा बनाये गये रेत के शिवलिंग को ही रामेश्वरम में स्थापित कर देते है। मान्यता है। कि रामेश्वरम में स्थित शिवलिंग बारह द्वादश ज्योतिलिंगों में से एक है।
भगवान शिव इस दृश्य को देखकर अतिप्रसन्न होते है, और कहते है जो भी यहाँ स्नान करने के बाद शिवलिंग के दर्शन करेगा उसके सभी पाप दूर हो जायेगे और निःसन्तान को सन्तान की प्राप्ति होगी। जब हनुमान जी कैलाश से शिवलिंग लेकर पहुँचते है। तो वे भगवान श्रीराम से कहते है। कि हे प्रभो आपने मेरी थोड़ी सी प्रतीक्षा नहीं की ।तब भगवान श्रीराम  रामेश्वरम् के पास ही हनुमान जी द्वारा लाये गये शिवलिंग को स्थापित करते है, तथा काशी-विश्वनाथ नाम देते है। और कहते है कि रामेश्वरम की पूजा करने से पहले हनुमान जी द्वारा लाये गये शिवलिंग की पूजा पहले करनी होगी। आज भी श्रद्धालु रामेश्वरम का दर्शन करने से पहले काशी-विश्वनाथ का दर्शन करते है।

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