माता चामुण्डेश्वरी के मंदिर का निर्माण कृष्णराजा ओडियार तृतीय ने करवाया यह मंदिर लगभग 1095 मी0 ऊँचा है। पूरे साल-भर यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ लगी होती है, मंदिर के बाहर सुन्दर सीढ़िया बनायी गयी है, जहाँ पर बैठकर मैसूर शहर की रोशनी का दृश्य देख सकते है। जो श्रद्धालुओं का मन मोह लेती है। यह मंदिर कर्नाटक राज्य मैसूर शहर से मात्र 13 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है।
मान्यता है कि यहाँ माता सती के बाल गिरे थे, यह 51 शक्तिपीठ में से एक पीठ है। इस मंदिर का द्वार बहुत बड़ा लगभग 40 मी0 ऊँचा है।
धार्मिक महत्त्व— जब दैत्य महिषासुर ने भगवान ब्रह्म की घोर तपस्या की तथा भगवान ब्रह्म से वरदान प्राप्त किया कि उसे संसार में कोई न मार सके अगर उसकी मुत्यु हो तो किसी स्त्री के द्वारा महिषासुर ने देव और दानव दोनो पर अत्यधिक अत्याचार करना प्रारम्भ कर दिया। देवो ने मां भगवती से प्रार्थना की माता भगवती उनकी रक्षा करे तब मां भगवती से चामुण्डेश्वरी का रूप रख राक्षस महिसासुर का बध किया।
नवरात्री एवं दशहरे के पर्व पर यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। जो हमेशा असत्य पर सत्य की जीत का एहसास दिलाती है। दशहरे में हाथी के उपर सजे हौदे में मां चांमुडेश्वरी देवी की मूर्मि को रखा जाता है। इस दृश्य को देखने के लिए लोग प्रतीक्षा में रहते है।
मान्यता है कि यहाँ माता सती के बाल गिरे थे, यह 51 शक्तिपीठ में से एक पीठ है। इस मंदिर का द्वार बहुत बड़ा लगभग 40 मी0 ऊँचा है।
धार्मिक महत्त्व— जब दैत्य महिषासुर ने भगवान ब्रह्म की घोर तपस्या की तथा भगवान ब्रह्म से वरदान प्राप्त किया कि उसे संसार में कोई न मार सके अगर उसकी मुत्यु हो तो किसी स्त्री के द्वारा महिषासुर ने देव और दानव दोनो पर अत्यधिक अत्याचार करना प्रारम्भ कर दिया। देवो ने मां भगवती से प्रार्थना की माता भगवती उनकी रक्षा करे तब मां भगवती से चामुण्डेश्वरी का रूप रख राक्षस महिसासुर का बध किया।
नवरात्री एवं दशहरे के पर्व पर यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। जो हमेशा असत्य पर सत्य की जीत का एहसास दिलाती है। दशहरे में हाथी के उपर सजे हौदे में मां चांमुडेश्वरी देवी की मूर्मि को रखा जाता है। इस दृश्य को देखने के लिए लोग प्रतीक्षा में रहते है।
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thank for reading this article