केदारनाथ जहाँ स्वंम भगवान भोलेनाथ विराजमान है। केदारनाथ धाम उत्तराखंड राज्य की पहाड़ियो की गोद में स्थित रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है। केदारनाथ बारह ज्योंर्तिलिंगों में से एक ज्योर्तिलिंग है। यहाँ कई पवित्र कुण्ड है। इस यात्रा के दौरान प्रकृति के अनोखे नजारों का लुप्त उठाया जा सकता है। यहाँ की यात्रा मुख्यतः अप्रैल माह से लेकर नवंबर माह तक की जाती है। उसके बाद यहाँ के कपाट बंद हो जाते है। क्योंकि फिर यहाँ चारों तरफ बर्फ से ढक जाता है। केदारनाथ मंदिर की समुद्रतल से ऊँचाई 3,581 मीटर है।
श्री केदारनाथ धाम यात्रा— चारधाम यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ है। प्रत्येक वर्ष चारधाम की यात्रा अप्रैल या मई महिने से प्रारम्भ होती है। और अक्टूबर से नवंबर में समाप्त हो जाती है। जून, जुलाई और अगस्त के महिने में वर्षा होती है। सितंबर का महिना इस यात्रा के लिए पीक सीजन है। इस समय बरसात भी कम होती है, और पूरी घाटी हरि-भरी रहती है। केदारनाथ धाम की यात्रा प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर है। यात्रा के दौरान गौरीकुण्ड से आगे रास्ते में बडे़-बडे़ ग्लेशियर मानो अपनी छटाए बिखरे हुए हो और इन ग्लेशियर के बिच से गुजरना अपने आप में एक अनूठा अनुभव है। आधी यात्रा तो प्राकृतिक दृश्यो को देखकर ही पूरा हो जाती है। संसार में ईश्वर द्वारा की गयी रचना बड़ी सुन्दर है।
पौराणिक मान्याताओं के अनुसार चारधाम की यात्रा करने से मनुष्य जन्म और मुत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है। तथा जीवन में सुख शान्ति आती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सत्युग में भगवान विष्णु के दो रूप नर और नारायण ने इस स्थान पर तपस्या की इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इन्हें वरदान माँगने को कहाँ तो नर और नारायण ने कहा कि भगवन हमारे लिए तो आपके दर्शन ही सबकुछ है। यदि आप देना ही चाहते हो तो आप इस स्थान पर संसार के कल्याण हेतु सदा के लिए विराजमान हो जाए, फिर भगवान शिव इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गये। जिससे इस स्थान का नाम केदारनाथ पड़ा
पौराणिक मान्याताओं के अनुसार चारधाम की यात्रा करने से मनुष्य जन्म और मुत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है। तथा जीवन में सुख शान्ति आती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सत्युग में भगवान विष्णु के दो रूप नर और नारायण ने इस स्थान पर तपस्या की इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इन्हें वरदान माँगने को कहाँ तो नर और नारायण ने कहा कि भगवन हमारे लिए तो आपके दर्शन ही सबकुछ है। यदि आप देना ही चाहते हो तो आप इस स्थान पर संसार के कल्याण हेतु सदा के लिए विराजमान हो जाए, फिर भगवान शिव इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गये। जिससे इस स्थान का नाम केदारनाथ पड़ा
केदारनाथ धाम जाने का रास्ता— हरिद्वार या ऋषिकेश तक रेलगाड़ी द्वारा या बस द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। ऋषिकेश से आगे की यात्रा मोटर मार्ग द्वारा तय करनी होती है। ऋषिकश/हरिद्वार से मार्ग में देवप्रयाग, श्रीनगर और रूद्रप्रयाग आदि स्टेशन आते है। जहाँ पर आप अपने लिए आवश्यक वस्तुओं को ले सकते है। ऋषिकेश से आप बस या टैक्सी से गौरीकुण्ड तक आसानी से पहँच सकते है। यहाँ से आगे की यात्रा पैदल या कंडी द्वारा, खच्चरों द्वारा की जा सकती है।
0 Comments
thank for reading this article