गुरुवायुर मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर है। जहाँ भगवान श्री कृष्ण के बालरूप अराधना की जाती है। यह मंदिर केरल राज्य जनपद त्रिशुर में है। गुरुवायुर बाल गोपाल का मंदिर त्रिशूर नगर से लगभग 25 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है।
यहाँ बाल गोपाल मंदिर में अपने भार के बराबर वस्तु को भगवान बालगोपाल को चढ़ाने की परम्परा है। गुरुवायुर मंदिर में हिन्दु धर्म के लोग ही जा सकते है। श्रद्धालु के लिए पहनावा पुरुष धोती कुर्ता पहनकर तथा महिलाएं साडी पहनकर ही मंदिर में भगवान गुरुवायुर जी के दर्शन कर सकते है। मंदिर के समीप ही एक बडा तालाब है, जिसमें श्रद्धालु स्नान करते है। जिसे रुद्रतीर्थम् कहते है। इस मंदिर को दक्षिण का द्वारिका भी कहा जाता है।
गुरुवायुर मंदिर की कहानी— जब कलयुग की शुरुआत हुई थी तब गुरु बृहस्पति तथा पवन देव को एक बाल-गोपाल की मूर्ति मिली इस संसार के कल्याण के लिए गुरु बृहस्पति और पवन देव ने इस मूर्ति की स्थापना की उसी समय से प्रभु बाल-गोपाल का नाम गुरुवायुरप्पन पड़ा ।गुरु याने गुरु बृहस्पति और वायु याने पवन देव।
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