इस मुद्रा में दोनों हाथों को घुटनो पर रखकर हथेली को आकाश की ओर रखे हाथ की सबसे बड़ी अंगूली को अंगूठे के सबसे नीचे वाले घेरे में रखते है तथा उसके उपर अंगूठे को रखते है। तथा शेष तीन अंगूलियो को सीधा रखा जाता है, यह मुद्रा शुन्य मुद्रा कहलाती है। इस मुद्रा को करने के लिए सबसे पहले पदमासन या सिद्धासन में बैठकर रीढ़ की हडडी को सीधा रखकर इस मुद्रा का अभ्यास किया जाता है।
शुन्य-मुद्रा के लाभ (shunya mudra benefits)— इस मुद्रा से कान में होने वाला दर्द और कान का बहना, सुनाई कम देना, कानो से आवाज सुनाई देना आदि विकारो में यह मुद्रा लाभदायक है। इसके अलावा हड्यिो को मजबूत करने में यह मुद्रा सहायक है। इस मुद्रा से मसूडे़ मजबूत होते है, तथा मसूडे़ में होने वाला पाइरिया रोग ठिक होता है।
सावधानियाँ-
- शून्य मुद्रा को खडे़ होकर या चलते फिरते नही करना चाहिए
- खाने से ठीक पहले तथा खाने के तुरंत बाद यह मुद्रा नही करनी चाहिए।
- शरीर में किसी भाग में दर्द होने पर इस मुद्रा को नही करना चाहिए।
- इस मुद्रा को करते समय ध्यान एकाग्र होना चाहिए।
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