उत्तराखण्ड देवभूमि है, यहाँ प्रत्येक जगह अनेको मंदिर है, प्रत्येक जगह का अपना विशेष महत्त्व है। इनमें से एक मंदिर है, अंग्यारी महादेव मंदिर जो विरान जंगलों के बिच स्थित है। यह स्थान प्राकृतिक सौन्दर्य भरा हुआ है। ये मंदिर चारों ओर से सुन्दर बांज, बुँराश के वृक्षो से घिरा हुआ है। उत्तराखण्ड की गोद में बसा अंग्यारी महादेव पिण्डर घाटी (जिला-चमोली) का प्रसिद्ध शिव मंदिर है। यह पवित्र स्थल ग्वालदम से मात्र 15 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है। इस स्थान पर पहुँचने के लिए कुछ दूरी पैदल ही तय करनी होती है। सावन के महीनें में दूर-दूर से लोगों यहाँ आते है, मान्यता है कि इस स्थान पर अंगीरा ऋषि द्वारा तप किया गया था इसलिए इस स्थान का नाम अंग्यारी पड़ा।
गोमती नदी बागेश्वर
मंदिर के पास से ही एक जलधारा निकलती है। यहाँ श्रद्धालु सर्वप्रथम स्नान कर करते है, तथा जलधारा के पास ही प्राचीन शिव मंदिर है, इसी जलधारा से जल लेकर श्रद्धालु प्राचीन शिवलिंग पर जल चढ़ाते है। यही जलधारा आगे चलकर बैजनाथ (गरुड), में गोमती नदी के नाम से जानी जाती है। गोमती नदी के किनारे 11वीं शदीं का एक प्राचीन मंदिर है, मंदिर में पार्वती की प्रतीमा है, तथा साथ में ही लक्ष्मी नारायण मंदिर तथा राक्सी देवाल मंदिर है।
कई साधु संन्यासी तप के लिए आते है, यहाँ कुछ वर्षो पूर्व एक संन्यासी तप के लिए आये थे जिसे स्थानीय लोगों द्वारा काला बाबा नाम से जाना जाता था, जो संन्यास लेने से पूर्व एक प्रोफेसर पद पर कार्यरत थे, इन्होंने अंग्यारी महादेव मंदिर में राधा-कृष्ण के मंदिर का निर्माण करवाया। आज भी कई साधु-संत इस स्थान पर तप करने के लिए आते है,
पौराणिक मान्यतायें
मंदिर के पास ही एक जलधरा निकलती है। माना जाता है। कि इस धारा से कभी दूध निकलता था, लोग जब यहाँ भगवान शिव के दर्शन के लिए आते थे, तो उनको भोग चढ़ाने के लिए जलधारा से दूध लेकर भगवान के लिए भोग तैयार किया जाता था। कहा जाता है कि एक बार एक चारावाह जो गाय, भैस चुगाता था, उसके एक निगाल की छड़ी को जहाँ से दूध निकलता है वहाँ डाल दिया जिससे वहाँ से दूध की जगह खून निकलने लगा धीरे-धीरे वह दुग्ध घारा जल धारा में परिवर्तित हो गयी।
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