अल्मोड़ा का कटारमल सूर्य मंदिर

यह मंदिर पर्वतों की गोद में बसा उत्तराखण्ड़ राज्य के अल्मोड़ा जिले से दूरी 15 कि0मी0 की दूरी पर स्थित भगवान सूर्यदेव को समर्पित है। यह मंदिर पूर्णतया उत्तराखण्ड शैली पर आधारित है। इस मंदिर का निर्माण राजा कटारमल द्वारा 9–10वीं शताब्दी में किया गया, मंदिर में सूर्यदेव की प्रतिमा है।  मुख्य मंदिर चारों ओर छोटे-बडे़ मंदिरों से घिरा हुआ है, मंदिर में सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ में पदमासन में बैठे है, तथा उनके हाथों में कमल के पुष्प है।

इसके अलावा यहाँ लक्ष्मी-नारायण, शिव-पार्वती, नृसिंह, कुबेर, महिषासुरमर्दिनी की मूर्तिया है। जिसे गर्भगृह में रखा गया है। इस मंदिर को बड़दित्य के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में मूर्ति चोरी हो जाने के कारण दरवाजों तथा चैखटों को दिल्ली राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है।

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पौराणिक मान्यतायें के अनुसार जब ऋषि-मुनि देवभूमि उत्तराखण्ड़ में तप करते थे, तो उस समय असूर आकर उनके तप को भंग कर देते थे, जिससे सभी ऋषि-मुनि परेशान हो गये। तब ऋषियों ने कोसी नदी के तट पर सूर्यदेव की आरधना की सूर्य देव ऋषियों के तप से प्रसन्न होकर वटशिला में दिव्य तेज के साथ स्थापित हो गये। इस प्रकार ऋषि-मुनि असूरो के आतंक से मुक्त हुये।

कैसे पहुँचे कटारमल सूर्य मंदिर— कटारमल सूर्य मंदिर अल्मोड़ा के रानीखेत मार्ग पर स्थित है। यहाँ पर आसानी से रेलमार्ग, मोटरमार्ग तथा वायुमार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है। यद्यपि रेलमार्ग से (काठगोदाम) तथा वायुमार्ग से पंतनगर (हल्द्वानी)  तक पहुँचा जा सकता है। यहाँ आगे पहाड़ी मार्ग है जहाँ मोटरमार्ग द्वारा टैक्सी या उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बसों से पहुँच सकते है। कटारमल का सूर्य मंदिर पंत नगर से – 135 कि0मी0 की दूरी पर, काठगोदाम से – 100 कि0मी0 की दूरी पर, आनंद विहार आईएसबीटी दिल्ली से –350 कि0मी0 की दूरी पर स्थित है।



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