रास्पबेरी फल हल्का खट्टा-मिठा जिसे पहाड़ी क्षेत्रों में पहाड़ी (हिसालू) फल कहते है।

यह हिमालय क्षेत्र में पाया जाने वाला झाड़ीदार पौधा है। इसके फलो का रंग नारंगी होता है, फल रस से भरा, काफी सौफ्ट, स्वाद में हल्का खट्टा-मिठा होता है। पत्तिया किनारों से काँटेदार होती है। जो मुख्यतः समुद्रतल से 750 मी0 1800 मी0 ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। हिसालू का वैज्ञानिक नाम रुबस इलिष्टिकस तथा यह रोसेसी कुल का पादप है। इसमें सफेद रंग के पुष्प खिलते है, जो गुच्छों में होते है। इसके फल मई-जून के महीने में परिपक्व होते है। 

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पहाड़ी क्षेत्रों में नारंगी रंग की हिसालू तथा काली हिसालू की किस्में पायी जाती है। यह पादप भारत के अलावा रुस, मेक्सिको, वियतनाम, पौलैण्ड आदि अनेक देशो में पाया जाता है।
इसका पौधा झाड़ीदार होता है, पहाड़ी क्षेत्रों में बकरियों का मुख्य आहार है, वे इसकी पत्तियों को बडे़ चाव से खाते है। यह पौधा स्वतः ही हिमालयी क्षेत्रों में उग जाता है।
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(हिसालू) रास्पबेरी के फायदे 
इस पौधे के फल, जड, छाल आदि का प्रयोग औषधीय रूप में किया जाता है। इसमें विटामिन्स सी, पौटेशियम, मैग्नेशियम, कार्बोहाइड्रेट, जिंक और आयरन आदि पोषक तत्व पाये जाते है।
इसके फलों का रस को प्रयोग करने से बुखार, गले के दर्द, पेट-दर्द, खांसी आदि रोगों में लेना लाभदायक है।

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