मधुमक्खियां विभिन्न प्रकार के फूलों से रस लेकर शहद का निर्माण करते है। जिसे ये शर्दियों के मौसम में भोजन के रूप में प्रयोग करते है। दुनियाभर में मधुमक्खियों की लगभग बीस हजार प्रजातियाँ पायी जाती है, लेकिन इनमें से केवल 4 प्रजातियाँ ही शहद का निर्माण करने में सहायक होती है, मधुमक्खी सदैव उसी फूल का रस चूसती है, जिसमें नेक्टार होता है। नेक्टार फूलों में एक मीठा पानी होता है, जब मधुमक्खियां इस रस को लेती है, यह रस मधुमक्खी के पेट में दो भागों में ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस में विभाजित हो जाती है। ग्लूकोस का कुछ भाग एसिड में बदल जाता है, जो शहद में उत्पन्न होने वाले हानिकारक बैक्ट्रीया को समाप्त कर देता है। जिससे शहद कई सालों तक सुरक्षित रहता है, बशर्ते की शहद में किसी भी प्रकार की मिलावट न की गयी हो।
विभिन्न प्रकार के फूलों पर मडराने के पश्चात् जब ये मकरंद से अपना पेट भर लेती है, तब वह वापस अपने छते की ओर उड़ जाती है, जहाँ वह फूलो से लिया हुआ मकरंद अपने मुँह की सहायता से दूसरे मधुमक्खी के मुँह में उडेल देती है, ये मधुमक्खििया इस रस को लगभग आधे घण्टे तक चबाती है। फिर इस मकरंद (रस) में अपने मुँह से निकलने वाले एन्जाइम को इसमें मिलाते है, फिर मकरंद (रस) को छत पर बने छोटे-छोटे खाने पर रख देते है। इस मकरंद (रस) में जल की कुछ मात्रा होती है, जिसे ये अपने पंखों की सहायता से हवा करके सुखा लेते है, और जब इससे पानी की मात्रा नही रहती है। तो तब इसे मोम की पतली परत द्वारा ढ़क लेते है।
ये समूह बनाकर रहती है। प्रत्येक समूह में कई नर और कई श्रमिक होते है, जिसमें एक रानी होती है। रानी मधुमक्खी अण्डे देने का काम करती है, तथा अन्य मधुमक्खियों द्वारा उनकी देखभाल की जाती है। मधुमक्खियों द्वारा जो शहद का निर्माण किया जाता है, उसे वे शर्दियों में अपने भोजन के रूप में उपयोग में लाते है। एक ही छते में रहने वाली मधुमक्खियों के लिए शर्दियों में भोजन के लिए लगभग 10 से 15 किलोग्राम शहद की आवश्यकता होती है। मधुमक्खियों द्वारा जो शहद का प्राप्त किया जाता है, जिसमें लगभग 25 से 50 प्रतिशत तक शक्कर की मात्रा होती है। पूरे साल भर मधुमक्खियों के छत का तापमान लगभग 33॰ होता है। शर्दियों के मौसम में जब तापमान कम हो जाता है, तो सभी मधुमक्खियां आपस में सिमट जाती है, जिससे उनका तापमान नियत रहता है, इसके विपरीत गर्मियो के दिनों में जब तापमान बढ़ जाता है, ये अपने पंखों को फडफडाते (हवा करते) है जिससे उनके छत के आस-पास का तापमान नियंत्रित रहता है।
दैनिक जीवन में मनुष्यों द्वारा कई प्रकार की खाद्यय सामग्री जैसे, सेब, नाशपाती, काजू, अंगूर, भिण्डी, मिर्च, पपीता, बादाम आदि अनेक खाद्यय पदार्थो में मधुमक्खियों द्वारा ही परागण क्रिया पूर्ण होती है।
0 Comments
thank for reading this article