आडू का फल पीले रंग के गोलाकार तथा इसके पत्तों का रंग हरा होता हैै। इसे संस्कृत में आरुक कहते है। अधिकांशतः हम फलो का सेवन कर उसके बीजों को फेक देते है, आडू का फल भी एक ऐसा ही फल है, जिसके ताजे फलो को खाकर उसके बीजों को डेंस्टविन में फेक देते है, जिसका हमारे लिए कोई भी उपयोग नही होता है।
वास्तव आडू के फल के साथ उसके गूठलीदार बीजों (गिरी) से तेल प्राप्त किया जाता है, जो बादाम के तेल की भाँती होता है। इसके पत्तों को भी औषधी के रूप में प्रयोग किया जाता है। यदि सोचा जाए तो हमारे पास फल कहाँ से आते है, इन्हीं बीजों से एक नन्हा पौधा उगता है, जो धिरे-धिरे बड़ा होकर एक बड़ा पेड़ का रूप लेकर हमें आजीवन निस्वार्थ फल देता है। सभी फलो की तरह आडू भी एक स्वादिष्ट फल होने के साथ-साथ सेहत के लिए फायये मंद है, इसमेें विटामिन A, विटामिन C विटामिन E, कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम, फास्फोरस आदि तत्व विद्यमान होते है।
इसका वैज्ञानिक नाम प्रूनस पर्सिका तथा रोजेशी कुल का पौधा है। आडू के ताजे फलों को काफी पसंद किया जाता है, बाजार में यह अच्छे दामों में मिल जाता है, भारत में इसके पेड़ पर्वतीय क्षेत्रों में पाये जाते है, ये न तो अधिक गर्म स्थानों में पाये जाते है, और न ही अधिक ठंडे स्थान पर, इसके ताजे फल मुख्यतः जून के महीने में पकते है।
पहाड़ी काठी आड़ू फल क्या है
इसके अलावा उत्तराखण्ड में आडू के पेड़ की एक अन्य प्रजाति पायी जाती है। जिनका उपयोग केवल स्थानीय लोगों तक ही सीमित है, इन फलों को मार्किट में सेल नही किया जाता हैं।
यद्यपि ये पेड़ खेतों के किनारे बगीचों में स्वतः ही उग जाते है। ये फल पकने से पहले हरे रंग के होते है, जो स्वाद में खट्टा-मिठा होता है। पकनें के बाद किनारों से हल्के लाल रंग के हो जाते है। इसके फलों को खाया जाता है, तथा बीजों को एकत्र कर धूप में सूखाकर उससे तेल प्राप्त किया जाता है। तथा जिसका उपयोग खाद्य पदार्थो तथा अन्य उपयोग में लाया जाता है। इसके फल से चट्नी आदि भी तैयार की जाती है।
आड़ू फल के फायदे तथा इसके बींज तथा पत्तों से होने वाले लाभ
- आडू के पत्तें लेकर उसको बारीक पीसकर पेस्ट बनाकर लगाने से खुजली, घाव, बवासिर, सूजन आदि में लाभ मिलता है।
- आडू के बीज से प्राप्त तेल की मालिश करने से चर्मरोग में लाभ मिलता हैै।
- इसमें विटामिन सी प्रचूर मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।
- इसके तेल की एक-दो बूँद कान में डालने से कान की वेदना में आराम मिलता हैै।
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