लाख का उत्पादन एक कीट द्वारा किया जाता है, जिससे लाख प्राप्त किया जाता है, ये कीट मुख्य रूप से बेर, ढाक पीपल और बरगद के पेड़ो पर 1-2 सेमी0 मोटा घोसला का निर्माण करते है, जिसमें ये अण्डे देते है, जो मादा कीट द्वारा स्रावित किया जाता है। पेड़ो पर लाख के कीटो द्वारा एक गोद जैसा पदार्थ स्रावित होता है। जो पेड़ की टहनियों को चारों ओर से ढक लेता है। इन टहनियों के चारों ओर लाख का 1-2 इंच का मोटा स्तर बन जाता है।
जिन टहनियों पर लाख चढ़ी होती है, उसे पेड़ से अलग कर लेते है, इन टहनियों को गर्म पानी में डाल दिया जाता है, गर्म पानी से टहनियो को अलग कर लिया जाता है, तथा गोदनुमा पदार्थ में कुछ रासायन मिलाकर लाख तैयार कर लेते है। आधुनिक मशीनों द्वारा भी यह कार्य किया जाता है। इस प्रक्रिया में लाख लगी टहनियो को मशीन में डाल देते है जिससे लकडी अलग हो जाती है, और लाख अलग।
इसके अलावा फ्लेमेजिया सेमिलाटा के पेड़ से भी लाख का उत्पादन काफी अच्छा होता है, इसके एक पेड़ से लगभग 200 ग्राम लाख प्राप्त की जाती है। इसके पेड़ में लकड़ी की टहनिया लगा दी जाती है, लगभग 15 दिन बाद लकड़ी को पेड़ की टहनियों से हटा दिया जाता है, तथा लाख प्राप्त किया जाता है।
लाख के कीट से लाख प्राप्त कर इसका उपयोग अनेक वस्तुओं के निर्माण किया जाता है।
इससे मोहर की लाख, बटन, खिलौने, चूडियाँ और ग्रामोफोन रिकाॅर्ड आदि अनेक वस्तुओं के निमार्ण में इसका उपयोग किया जाता है।
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