हिंदू धर्म संस्कृति के अनुसार प्रत्येक व्रत का अपने आप में विशेष महत्त्व है। इसी प्रकार प्रदोष व्रत जो भगवान शिव को अतिप्रिय है। इस व्रत में भगवान शिव की उपासना की जाती है। प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति में होने वाले दोषो का नाश होता है, इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है, तथा व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है। प्रत्येक महिने में दो प्रदोष व्रत आते है। पहला प्रदोष व्रत (शुक्ल) पक्ष में आता है। और दूसरा प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की ़त्रयोदशी तिथी पर आता है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत के समय भगवान शिव कैलाश में रजत भवन में नृत्य करते है।
इस वर्ष 2020 में श्रावण मास में पहला प्रदोष व्रत शनिवार 18 जुलाई को पड़ रहा है। हिन्दु कलैंडर के अनुसार प्रदोष व्रत चंद्र मास के त्रयोदशी 13वें दिन (त्रयोदशी) पर रखते है।
प्रदोष व्रत का नियम
इस दिन व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना चाहिए। सर्वप्रथम सुबह उठकर स्नान करके भगवान शिव को बेलपत्र, गंगाजल, धूप, पुष्प अर्पित करके भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इसी प्रकार सांय को स्नान करके भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। पूजा स्थल को गाय के गोबर और गंगाजल से लिपाई करके मंडप तैयार करना चाहिए, तथा कुश के आसन का उपयोग करना चाहिए।
प्रदोष व्रत से लाभ
रविवार- यदि प्रदोष व्रत रविवार के दिन आता है। तो इस दिन व्रत करने से अच्छा स्वास्थ एवं आयु में वृद्धि होती है।
सोमवार- यदि प्रदोष व्रत सोमवार के दिन आता है। तो इस दिन व्रत करने से उपासक की सभी इच्छायें पूरी होती है, तथा इस दिन किये जाने वाला व्रत आरोग्य प्रदान करता है।
मंगलवार- यदि मंगलवार को त्रयोदशी हो तो उस दिन व्रत करने पर स्वास्थ्य लाभ एवं रोगों से मुक्ति मिलती है।
बुधवार- यदि प्रदोष व्रत बुधवार के दिन आता है। तो इस दिन व्रत करने से उपासक की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
गरुवार- यदि प्रदोष व्रत गुरुवार के दिन आता है। तो इस दिन व्रत करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
शुक्रवार- यदि प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन आता है। तो इस दिन व्रत करने से दाम्पत्य जीवन में खुशहाली आती है।
शनिवार- यदि प्रदोष व्रत शनिवार के दिन आता है। तो इस दिन व्रत करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है।
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