सावन का महिना भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष होता है। श्रावण मास में मंदिर, शिवालयों में प्रत्येक सोमवार को सभी शिव भक्तों की भीड़ लगी रहती है। अनेको भक्त कई किमी0 की यात्रा कर काँवरियों में गंगाजल लेकर भगवान शिव को जल चढ़ाते है। यात्रा में उनकी हर पीड़ा को भगवान शिव हर लेते है।
सावन शिवरात्रि का महत्व
शास्त्रों के अनुसार साल भर में 12 शिवरात्री होती है, जो एक मास में एक शिवरात्री कहलाती है, इनमें से दो शिवरात्री महत्त्वपूर्ण होती है, पहली श्रावण मास की शिवरात्री जो श्रावण मास कृष्णपक्ष की चतुर्थदशी के दिन आती है। तथा दूसरी शिवरात्री फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष के चतुर्थदर्शी के दिन आती है। महाशिवरात्री के समान श्रावण शिवरात्री का भी विशेष महत्त्व है, श्रावण शिवरात्री भी महाशिवरात्री के समान फलदायी होती है। इसी दिन श्रद्धालु हरिद्वार से गंगाजल लाकर भगवान शिव का मंत्रो के साथ जलाभिषेक करते है, तथा भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते है।
सावन शिवरात्रि तारीख— इस वर्ष श्रावण शिवरात्री 19 जुलाई रविवार 2020 को है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार- एक बार सनत कुमारो ने जब भगवान शिव से श्रावण मास के प्रिय होने का कारण पूछा तो तब भगवान शिव ने उन्हें बताया कि जब देवी सती के पिता द्वारा एक महान यज्ञ किया गया था, जिसमें भगवान विष्णु सहित सभी देवो-ऋषि-मुनियो को यज्ञ में आमंत्रित किया गया था लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नही किया गया। देवी सती अपने पति का अपमान सहन न कर सकी और वे अपने पिता प्रजापति के घर पहुँची जहाँ उन्होनें अपनी योगशक्ति द्वारा अपने देह का त्याग किया था।
लेकिन उससे पूर्व देवी सती ने भगवान शिव को हर जन्म में पाने का प्रण किया था। जिससे उनका अगला जन्म राजा हिमाचल और मैना देवी के यहाँ पार्वती के रूप में हुआ। यहाँ पार्वती ने सावन के महीने में अन्न जल त्यागकर कठोर व्रत किया जिससे भगवान शिव देवी पार्वती के कठोर व्रत से प्रसन्न हुए तथा उनसे विवाह किया इसी कारण भगवान शिव को श्रावण मास अति प्रिय है।
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