जिम कार्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड- में नैनीताल जिले में स्थित है। इसका क्षेत्रफल- 520.80 वर्ग किमी0 है। ये स्थान पूर्ण रूप प्राकृतिक रूप से सुंदरता से भरपूर है। जहाँ प्रकृती प्रेमी उत्साह और उमंग के साथ प्रकृती के नजदीक पहुँचकर उसे महसूस करते है।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क कब बना– 3 जनवरी, 1907 को पहली बार माइकेल कीन द्वारा इस क्षेत्र को अभयारण्य बनाने की पहल की लेकिन 1909 में सर जाॅन हिबेट ने इसे नामंजूर कर दिया था। फिर 1934 में मैलकम हेली ने इस क्षेत्र को पुऩ राष्ट्रीय उद्यान बनाने का प्रस्ताव तैयार किया। अन्तः इसे स्वीकृत कर लिया गया।
8 अगस्त 1936 को इस राष्ट्रीय पार्क का नाम हेली नेशनल पार्क रखा गया। आजादी के पश्चात् इस पार्क का नाम रामगंगा राष्ट्रीय पार्क रखा गया। और सन् 1955 में जिम एडवर्ड कार्बेट जो कि प्रसिद्ध शिकारी एवं प्रेमी था उसकी केन्या में मुत्यु हो गयी। इनकी स्मृति में इस पार्क का नाम कार्बेट नेशनल पार्क रखा गया।
जिम कार्बेट नेशनल पार्क की स्थापना सन् 8 अगस्त 1936 में हुई। ब्रिटिश शासन से पूर्व यह क्षेत्र ‘दक्षिणी पातली दून’ स्थानीय वर्ग शासक वर्ग के अधीन था, सन् 1861-1862 में ढिकाला और बुक्साड़ के मैदानों खेतों व पालतू पशुओं के चुगानो पर रोक लगा दी गयी थी।
जिम कार्बेट नेशनल पार्क में शेर, चीतल, साभर, हाथी, घड़ियाल, नीलगाय, किंग कोबरा, उड़ने वाली लोमड़ी आदि अनेको प्रकार के जीव जन्तु पाये जाते है। जो प्रकृती प्रेमियों के मन में उत्साह और उमंग भर देता है। कार्बेट नेशनल पार्क चार अलग-अलग क्षेत्रों में बाँटा गया है, बिजरानी क्षेत्र, थिकाला क्षेत्र, झिरना क्षेत्र और दुर्गदेवी क्षेत्र ।
जिम कार्बेट नेशनल पार्क में नवंबर से जून के महिने में पर्यटक इस स्थान पर भ्रमण करने आते है। उसके बाद बारिश के मौसम में जिम कार्बेट नेशनल पार्क को बंद कर दिया जाता है।
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