महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन, जो बारह ज्योतिलिंगों में से एक है, हर बारह वर्ष में यहाँ सिंहस्थ कुम्भ का मेला लगता है।

महाकालेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन में स्थित है। जो बारह ज्योतिलिंगों में से एक है। उज्जैन को अवन्तिका व अवंतिपुर भी कहाँ जाता है। जो शिप्रा नदी के तट पर अवस्थित है। यहाँ प्रतिवर्ष देश-विदेश से असंख्य श्रद्धालु भगवान श्री महाकाल के दर्शन के लिए आते है। हर बारह वर्ष में यहाँ सिंहस्थ कुम्भ का मेला लगता है। जहाँ स्नान करने के लिए साधु-संत तथा अनेक लोगों की भीड़ लगी रहती है। प्राचीनकाल से कुम्भ वृश्चिक-राशी में वृहस्पति के आने पर मनाया जाता है। स्कन्दमहापुराण के अनुसार—

महाकालः सरिच्छिप्रा गतिश्चैव सुनिर्मला।
उज्जयिन्यां विशालाक्षि वासः कस्य न रोचते।।
स्नानं कृत्वा नरो यस्तु महानद्यां हि दुर्लभम्।
महाकालं नमस्कृस्य नरो मुत्युं न शोचयेत्।।
मृतः कीटः पतंगो वा रुद्र स्यानुचरो भवेत्।।
—स्कन्दमहापुराण

जहाँ भगवान महाकाल बसते है, शिप्रा नदी है, और जहाँ पर सुनिर्मल गति प्राप्त होती है। उस उज्जयिनी में भला रहना कौन पसंद नही करेगा। जिस पवित्र नदी में स्नान करना बडे़ सौभाग्य की बात है। तथा महाकाल को नमस्कार करने पर मृत्युं रूपी भय हमेशा के लिए हट जाता है। कीट- पतंगे भी मरने पर रुद्र का अनुसरण होता है।



महाकालपूरी या (उज्जयिनी) का नाम प्रत्येक युग में परिवर्तित होता रहता है। प्रथम कल्प में इसे स्र्वणश्रृंगा, द्वितीय कल्प में कुशस्थली, तृतीय कल्प में अवंतिका, चतुर्थ कल्प में अमरावती, पंचम कल्प में चूड़ामणि, छठवें कल्प में, पदस्वती नाम से जाना गया है।

कल्पे कल्पेऽखिलं विश्वं कालयेद्यः स्वलीलया।
तं कालं कलयित्वा यो महाकालोभवत्किल।।


—स्कन्दमहापुराण

महाकालेश्वर मंदिर में भस्मारती

भस्म आरती प्रातः चार बजे प्रारम्भ हो जाती है। भस्म आरती में सबसे पहले भगवान महाकालेश्वर को स्नान कराकर श्रृंगार किया जाता है। तथा उसके बाद भस्म आरती की जाती हैै। जहाँ एक समय में सैकड़ो लोग दर्शन करते है। इस भस्म आरती में जन्म से लेकर मोक्ष तक की कल्पना की जा सकती है। भस्म आरती के समय स्त्रियों का प्रवेश वर्जित है। माना जाता है। कि भस्म आरती का प्रसाद ग्रहण करने से सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते है। भस्म आरती में शामिल होने के लिए प्रशासन सेे एक दिन पहले अनुमति ली जाती है। तभी जाकर भस्म आरती में शामिल हो सकते है। इसके अलावा भस्म आरती में शामिल होने के लिए ऑनलाइन  बुकिंग भी की जाती है।



धर्मस्थल

उज्जैन में कई धर्मस्थल है, इसमें महाकाल मंदिर, हरिसिद्धि देवी, गोपाल मंदिर, बडे गणेश, भर्तृहरि गुफा, कालभैरव, गढ़कालिका, और सिद्धवट आदि अनेको घार्मिक स्थल है। मान्यता है, कि यदि यहाँ पर एक बोरा चावल की ले जाने पर, और प्रत्येक मंदिर में एक-एक चावल का दाना भी अर्पित किया जाय तो वो भी कम पड़ जाते है। इसलिए उज्जैन को मंदिरो की नगरी भी कहते है।

भागवतपुराण के अनुसार- द्वापरयुग में भगवान श्री कृष्ण उनके भाई बलराम ने अवन्तिका (उज्जयिनी) महानगरी में ही सांदीपनी मुनि के गुरुकुल में 126 दिनों तक सम्पूर्ण वेद, अश्वशिक्षा, गजशिक्षा आदि का ज्ञान प्राप्त किया था।

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