Lakhamandal shiv mandir जहाँ भगवान शिव करते है, भक्तों की मनोरथ पूरी

लाखामंडल मंदिर यमुना नदी के किनारे उत्तराखण्ड में देहरादून जिले स्थित है। लाखामंडल का प्राचीन नाम मढ़ था। यह मंदिर देहरादून से लगभग 126 किमी0 की दूरी पर स्थित है। लाखामंडल जौनसार का एक गांव है। जहाँ एक उत्तराखण्ड शैली में बना मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर में एक पत्थर पर काले रंग का शिवलिंग बना है। जिस पर जलाभिषेक करने पर भक्तों को अपनी प्रतिछाया दिखाई पड़ती है। मानो हम किसी दर्पण में देख रहे है।

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समुद्रतल से इस मंदिर की ऊँचाई 1372 मी0 है। मंदिर परिसर के अन्दर एक बड़ा शिवलिंग रखा है। मंदिर परिसर के पीछे दो द्वारपाल है, इनमें से एक द्वारपाल का हाथ कटा है। द्वारपाल का कटा हाथ अभी भी अपने आप में एक रहस्य है, मंदिर के अंदर एक चट्टान पर माता पार्वती के पांवो के निशान है। इसके अलावा मंदिर में भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय तथा गणेश जी एंव भगवान विष्णु जी और हनुमान जी की मूर्तिया भी विराजमान है।

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स्थानीय लोगो की मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर लाखों की संख्या में मूर्तिया प्राप्त हुई थी। जिस कारण इस स्थान का नाम लाखामंडल पड़ा। कई लोगों का मानना है। कि इस स्थान पर दुर्योधन ने पांडवो के प्रति गहरी साजिश रची थी, और यहाँ एक लाक्षागृह को बनाया था, ताकि वह पांडवो को यहाँ जिन्दा जला सके। इसी लाक्षागृह के कारण इस स्थान का नाम लाखामंडल पड़ा। पर ईश्वर के आगे किसकी चलती है। पांडव एक गुफा से बाहर निकल गये तथा दुर्योधन के षड़यंत्र से बच गये।


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