देवभूमि उत्तराखण्ड में प्राचीन समय से ही अनेक देवालयो का निमार्ण हुआ। जिनकी वास्तुकला एवं मूर्ति कला आधुनिक युग में भी प्रेरणा स्रोत है। मंदिरो के पत्थरों पर जिस प्रकार की नक्कासी की गई है। वे हिन्दू-धर्म की आस्था को और अधिक मजबूत करते है।
बडे़-बडे़ पत्थरो को तरासकर मंदिर में जिस प्रकार व्यवस्थित किया गया है, जो अपने आपमें अकल्पनीय है। न तो उस समय 10वीं से 12वीं शताब्दी में आधुनिक युग की तरह कोई जेसीपी थी। जो डिजायन तथा तरासे गये पत्थरों को इतनी ऊँचाई तक पहुँचा सके।
द्वारहाट उत्तराखण्ड राज्य के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। इस स्थान में कई सुन्दर मंदिर है, इसका निर्माण कत्यूरी राजाओं द्वारा 12वीं से 13 शताब्दी में किया गया। यहाँ मंदिरों के समूहो में सबसे बड़ा देवालय गूजरदेव का मंदिर है। रानीखेत से यहाँ की दूरी 21 किमी0 है।
मंदिरों के निर्माण में जिस वास्तुकला का उपयोग हुआ है। वास्तव में अकल्पनीय है। द्वाराहाट में 55 मंदिरों के समूहो को 8 समूह में विभाजित किया गया है। गुज्जर देव, कछारी देवल, मांडवे, रतन देवल, मुत्युंजय, बद्रीनाथ और केदारनाथ आदि।
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