झगोरा एक अनाज है, जिसमें प्रचूर मात्रा में प्रोट्रीन, फाइबर, कार्बोहाइडेªट तथा फास्फोरस की उचित मात्रा पायी जाती है। इसका वानस्पतिक नाम इकनिक्लोवा फ्रूमेन्टेंसी (echinochloa frumentacea) है। हिन्दी में इसे स्वाइया (Swaiya), अंग्रजी में इडियन बर्नयार्ड मिलेट (Indian Barnyard Millet) तथा संस्कृत में इसे श्यामक कहा जाता है।
इस फसल की पैदावार भारत के अलावा जापान, चीन, नेपाल, अफ्रीका आदि देशो में भी की जाती है। पहाड़ी क्षेत्रों में इस अनाज का विशेष महत्त्व है। इससे झंगोरा की खीर, छछिया, भात आदि पहाड़ी व्यंजन बनाये जाते है। प्राचीन ग्रंथों में भी इस अनाज का वर्णन किया गया है। उत्तराखण्ड में प्राचीन समय से इस अनाज का उपयोग किया जाता था।
इसकी फसल अन्य फसलों के साथ जैसे धान के साथ भी आसानी से हो जाती है। इसे धान के खेतो के मीढ़ो में बोया जाता है, जिससे एक साथ दो फसलो हो जाती है, तथा पैदावार भी अच्छी होती है। इसमें अनाज की बालियां होती है। इसकी फसल सितम्बर माह से अक्टूबर माह में पक्कर तैयार हो जाती है।
इसके पौधो से अनाज एकत्र करने के पश्चात् पौधे का शेष भाग पशुओं के चारे के रूप में उपयोग में लाया जाता है, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जब नैनिताल आते थे, तो वे अपने भोजन में झंगोरे से बनी हुयी खीर को अवश्य शामिल करते थे। इसके अलावा ब्रिटेन के प्रिंस चाल्र्स तथा उनकी पत्नी कैमिला पार्कर ने भी इस व्यंजन की काफी सहारना की है।
झंगोरा के फायदे (Benefits of jhangora)
इसमें उपस्थित कैल्शियम की मात्रा दाँतो एवं हड्डियों को मजबूत बनाती है।
इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो मधुमेह रोग में काफी लाभप्रद है।
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