तिमूर का पेड़ कई औषधीय गुणों से भरपूर

प्रकृती में कई पौधे ऐसे है, जो औषधीय गुणों से भरपूर है, इनमें से एक है, तिमूर जो उत्तराखण्ड में प्रचूर मात्रा में पाया जाता है, इसका वनस्पतिक नाम जेनथोजायलम अर्मिटम है। इसे संस्कृत में तजोवती के नाम से जाना जाता है। इसका पेड़ झाड़ीमुना होता है, इसके पेड़ पर छोटे-छोटे फल लगते है, जो पकने से पहले हरे रंग के गोलाकार होते है, पक्ने पर इनका रंग लाल रंग का हो जाता है।

 

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इसके वृक्ष की लंबाई लगभग 10-12 मी0 तक होती है, स्थानीय लोगों द्वारा इसका उपयोग भरपूर किया जाता है, इसके पौधे के पत्ती, फल तना सभी भागों का उपयोग औषधीय रूप में किया जाता है।, इसे पहाड़ी नीम भी कहा जाता है। 

इसकी पत्तियां को चबाने से झाग निकलता है, इसकी पत्तियों को स्थानीय लोगो द्वारा अनाजों में भी डाला जाता है, जिससे अनाजों में कीडे़ नही लगते है। तथा अनाजों को लंबे समय तक भंडारण किया जा सकता है।

तिमूर बीज के लाभ

तिमूर के बीजो को मुँह में डालने से पिपरमिंट जैसा स्वाद आता है, जो मुँह की दुर्गन्ध को दूर करने में लाभदायक है। इसके बीजों को मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है। जो पाचन एवं पेट संबंधी बिमारियों में लाभदायक है।

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तिमूर का धार्मिक महत्त्व

तिमूर की लकड़ी मजबूत होती है, धार्मिक कार्यो में इसकी लकड़ी को पवित्र माना जाता है, इसकी लकड़ी को घर में स्थानीय लोगों द्वारा अपने ईष्ट देव के मंदिर में चढाया जाता है। जो एक पवित्रता का प्रतीक है।


तिमूर के लाभ

  1. इसकी सूखी टहनियों को लाठी के रूप में उपयोग में लाया जाता है।
  2. इसके बीजों को माउथ फ्रेशर के रूप में उपयोग किया जाता है।
  3. यह दार्द दर्द में काफी लाभदायक है।

 

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