चौलाई की सब्जी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर

चौलाई के पत्ते की सब्जी हरी सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है, इसके सब्जी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर है, चौलाई में विटामिन ए, विटामिन सी और प्रोट्रीन पाया जाता है, इसके पुष्प बैगनी या लाल रंग के होते है, चौलाई के सभी भागों पत्त्ती, जड़, तना एवं बीज को उपयोग में लाया जाता है।
 
चौलाई की मुख्य रूप से दो किस्में पायी जाती है, हरी चौलाई तथा लाल चौलाई हरी चौलाई के पत्ते, तना हरा होता है, इसके पत्तों का आकार लाल चौलाई से बड़ा होता है, तथा लाल चौलाई के पौधे के तने तथा पत्तियों में हल्का लाल रंग होता है, तथा इसके पत्ते लम्बे गोल तथा मध्यम आकार के होते है। दुनियाभर में चौलाई की लगभग 60 प्रजातियां पायी जाती है, भारत में इसकी केवल 6 प्रजातियां ही पायी जाती है। 
 
इसके अलावा इसे पहाड़ी क्षेत्रों में भूनकर गेहूँ, मडवा आदि अनाजों में मिलाया जाता है, जिससे तैयार आटा स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिकता से भरपूर होता है। चौलाई का वानस्पतिक नाम- ऐमारेन्थस ट्राईकलर (amaranthus tricolor linn) इसे संस्कृत में मारिष कहते है। चौलाई का अंग्रेजी नाम - Josephs coat है।
 
 

 
चौलाई के बीजों को राजगिरा और रामदाना कहा जाता है। इसके बीजों से चौलाई के लड्डू, चौलाई की पट्टी आदि बनायी जाती है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से व्रत आदि में किया जाता है। चौलाई को कच्चा नही खाना चाहिए क्योंकि इसमें कुछ विषैले तत्व पाये जाते है, उबालकर खाने से इसमें उपस्थित ये विषैले तत्व समाप्त हो जाते है।

चौलाई के उपयोग
 
खून की कमी को दूर करने में उपयोगी
– इसकी पत्तियों, बीजों में विटामिन ए, सी, और प्रोट्रीन पाया जाता है, जो एनिमिया रोग में लाभदायक है। यह रक्त की कमी को दूर करने में उपयोगी है।

हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक — चैलाई में कैल्शियम की मात्रा पायी जाती है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने व लचीला बनाने में सहायक है।
 
पेट से संबंधित रोगों में लाभदायक —इसमें रेशे, क्षार द्रव्य होते है, जो आँतो में चिपके मल को बाहर निकालने मेें मदद करता है, जिससे पेट साफ रहता है।
 
आँखों के लिए फायेमंद —इसके पत्त्तों में विटामिन ए की प्रचूर मात्रा पायी जाती है, जो आँखों को स्वस्थ्य रखने में मदद करता है।


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