मंडवे की रोटी और मडुवा से बने बिस्किट स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिकता से भरपूर।

मडुवा का उपयोग न केवल अनाज के रूप में किया जाता है, अपितु इसमें कई औषधीय गुण भी पाये जाते है। मडुवा का उपयोग प्राचीनकाल से ही होता आ रहा है, इसमें गेहूँ की अपेक्षा 10 गुना कैल्शियम की मात्रा अधिक पायी जाती है। मडुवां से बने उत्पाद स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिकता से भी भरपूर है। 

आज इससे कई उत्पाद जिनकी मार्केट में बहुत अधिक मांग है, जैसे मडुवा से बने बिस्किुट, पास्ता, नुडल्स, बे्रड आदि। मडुवां में प्रोट्रीन, कार्बोहाइड्रेट, एमिनो अम्ल आदि अनेक पोषक तत्व पाये जाते है, इसका वैज्ञानिक नाम इल्यूसीन, कोराकाना है। अंग्रेजी में इसे फिंगर मिलेट कहते है। मडुवां को रागी नाम से भी जाना जाता है।

 

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पहाड़ो में कुछ वर्षो पूर्व इस अनाज को नकारा जाता था, कुछ किस्मों में इसके अनाज के दानों रंग काला होता है, जिस कारण इसे लोग कम पसंन्द करते थे। लेकिन आज मडुवे को लोगों द्वारा काफी अधिक पसंद किया जाता है। न केवल राष्ट्रीय स्तर पे अपितु अंतराष्ट्रीय स्तर जैसे जापान, यूएसए, आस्ट्रेलिया आदि अनेक देशो में इसकी मांग काफी अधिक है। 

मडुवा की रोटी (कोदा की रोटी)

यदि स्वाद की दृष्टि से देखा जाय तो मडुवां की रोटी और मक्खन जिसका स्वाद लाजबाव होता है। केवल मडुवां की रोटी बनाने में थोड़ा कठिनाई आती हैै, इसलिए मडुवां के आटे के साथ गेुहुँ का आटा मिलाया जाता है, जो बनाने में काफी आसान होता है, और स्वादिष्ट भी।

 

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मडुवा से बने बिस्किट  
 

कभी अपनी पहचान के लिए तरसने वाला हिनता की दृष्टी से देखे जाना वाला अनाज मडुवां (कोदा) आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग बढ़ती जा रही है, मडुवे की रोटी, मडुवे (कोदे) की बाडी जिसे दूध और चीनी मिलाकर बनाया जाता था, गरीब लोगों का प्रमुख भोजन था, आज यद्यपि इसके गुणों के बारे में जानकर लोग इसका उपयोग अत्यधिक कर रहे है, कई होटलो में मांग करने पर मडुवे की रोटी मिल जाती है।

मडुवा की फसल

पहाड़ी क्षेत्रों में मडुवा की फसलों के साथ कई अन्य फसलों की खेती भी आसानी से की जाती है गहत, बाजरा, पहाड़ी भटट् इसके अलावा कद्दू, खरबुजा और ककड़ी आदि की पैदावार बहुत अच्छी होती है। इसकी फसल मुख्यतः समुद्रतल से 2,300 मी0 की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में उगायी जाती है। फसल पूर्ण रूप से परिक्व हो जाने पर मडुवें को जो गुच्छो की तरह होता है। इसके पौधे से मडुवें के गुच्छों अलग करके कुछ दिनों के लिए एक जगह एकत्रित कर लिया जाता है, जिससे मडुवें के दाने आसानी से गुच्छों से अलग हो जाते है, तत्पश्चात् इसका भण्डारण किया जाता है। इसके अनाज को काफी लम्बे समय तक भण्डारण किया जा सकता है, क्योकि इसमें किसी भी प्रकार के कीट या फफूद आदि नही लगते। शेष बचे पौधे के भाग को पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है, जो कि दुधारू पशुओं के लिए काफी उपयोगी माना जाता है। इसके पौधे में शक्कर की मात्रा होती है। जिसमें हल्की मिठास होती है।

मडुवा के फायदे

● इसमें कैल्शियम की अत्यधिक मात्रा पायी जाती है, जो हड्डियों को मजबूत करने में सहायक है।
● मडुवां में शुगर की मात्रा बहुत कम होती होती है, जो डायबिटीज रोग में लाभदायक है।
● मडुवां कब्ज, एसिडिटी आदि समस्या को दूर करने में सहायक है।

● इसका उपयोग फेस पैक बनाने में भी किया जाता है, जो चेहरे से दाग धब्बों को दूर को करता है।
● मडुवां में प्रोट्रीन, कार्बोहाइड्रेट, फिनोलिक्स और एमिनो अम्ल आदि अनेक पोषक तत्व पाये जाते है। जो वजन        करने में सहायक है तथा पाचन शक्ति को मजबूत बनाने में सहायक है।
 


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