पहाड़ी करेला (pahari karela)

पहाड़ी करेला को मीठा करेला भी कहा जाता है, इसका स्वाद मीठा तो नही होता परन्तु इसमें बिल्कुल भी कडवाहट नही होती है, दिखने में हल्का पीला-या हरा रंग का होता है। यह अपने स्वाद के कारण कई नामो जाना जाता है। जैसे परमला, ककोड़ा, राम करेला आदि। राम करेले का वैज्ञानिक नाम सिलेंथरा पेडाटा (एल) स्टार्ड है। इससे तैयार सब्जी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिकता से भी भरपूर है।



इसके बाहरी आवरण में छोटे-छोटे हरे रंग के काँटे पाये जाते है, तथा यदि इसे तोड़कर देखा जाय तो इसके अन्दर छोटे-छोटे अंगुलियों की सरंचना पायी जाती है, परिपक्व होने पर इसके अन्दर काले रंग बीज पाये जाते है। इसका पौधा एक बेल की तरह होता है, जिसे किसी आधार की आवश्यकता होती है। 

इसकी बेल पेड़ो पर या किसी आधार पर काफी मात्रा में फैलती है। जिसमें असंख्य फल लगते है, पहाड़ी करेला ऊंचे क्षेत्रों में भरपूर मात्रा में पाया जाता है। अगस्त से लेकर नवंबर माह तक इसका उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है, तथा जब इसका सीजन होता है, तो इसके अन्दर से बीज निकालकर इसे धूप में सुखाकर सुक्से बनाये जाते है। सुक्से को कुछ देर पानी में भिगाकर इससे  तरकारीदार सब्जी के रूप में उपयोग में लाया जाता है।

मीठा करेला या ककोड़ा न केवल स्वाद की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, अपितु इसमें कई पौषक तत्व भी पाये जाते है। जैसे आयरन, फाइबर, प्रोट्रीन, कार्बोहाइड्रेट आदि तत्व पाये जाते है।

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